Sampurn Bharat
सच दिखाने का जज्बा

*सरकारी नौकरी छोड़ कूदी आजादी की लड़ाई में, रुपौली क्रांति के नायक – लेकिन अपने ही गांव में न चौक, न स्मारक.?*

*आजादी का गुमनाम सिपाही: बनमनखी के स्व० हरिकिशोर यादव की कहानी*

- Advertisement -

News Add crime sks msp

- Advertisement -

सरकारी नौकरी छोड़ कूदी आजादी की लड़ाई में, रुपौली क्रांति के नायक – लेकिन अपने ही गांव में न चौक, न स्मारक.?

✍️सुनील कु. सम्राट✍️

आजादी का गुमनाम सिपाही: बनमनखी के स्व० हरिकिशोर यादव की कहानी………………….

 

सम्पूर्ण भारत,पूर्णिया (बनमनखी)। “आजादी का गुमनाम सिपाही” अभियान के तहत सम्पूर्ण भारत आज एक ऐसे वीर सपूत की गाथा लेकर आया है, जिसने ब्रिटिश हुकूमत की नींव हिला दी, लेकिन आज भी अपने ही गांव में गुमनामी में हैं।

 

वर्ष 1916 में जन्मे स्व० हरिकिशोर यादव, पिता उदेश्वर महतो, बनमनखी के निवासी थे। हेल्थ इंस्पेक्टर के पद पर रुपौली में पदस्थापित रहते हुए जब 1942 में महात्मा गांधी ने “करो या मरो” का बिगुल फूंका, तब उन्होंने सरकारी नौकरी को ठुकरा दिया और स्वतंत्रता संग्राम में कूद पड़े।

 

- Advertisement -

News add 2 riya

- Advertisement -

25 अगस्त 1942 को रुपौली थाने में आग लगाकर दरोगा सहित दो सिपाहियों को मौत के घाट उतारने की घटना ने पूरे ब्रिटिश साम्राज्य को हिला दिया। इस वीरता के लिए उन्हें 2 वर्षों का सश्रम कारावास भुगतना पड़ा। उनकी धर्मपत्नी स्व० ललिता देवी भी संघर्ष में कंधे से कंधा मिलाकर साथ रहीं। उन्होंने 1960 में त्रिवेन्द्रम में आयोजित प्रथम आल इंडिया महिला आंदोलन में सक्रिय भागीदारी की, जिसका उल्लेख आधिकारिक स्मारिका में दर्ज है।

 

आजादी के बाद स्व० यादव ने नगर पंचायत बनमनखी के प्रथम उपाध्यक्ष और चीनी मिल के निदेशक के रूप में क्षेत्र के विकास में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। 1 सितम्बर 2005 को उनका निधन हो गया। उनके योगदान के बावजूद आज बनमनखी में उनके नाम पर न कोई चौक है, न स्मारक।

 

क्या यह हमारे समाज की कृतघ्नता नहीं कि जिन्होंने देश के लिए जीवन दांव पर लगा दिया, उन्हें आज नई पीढ़ी तक ठीक से नहीं जानती? यह सवाल केवल बनमनखी का नहीं, पूरे भारत का है।

 

“हम खोजेंगे, हम लिखेंगे… ताकि गुमनाम न रहें आजादी के सिपाही”
सम्पूर्ण भारत का “आजादी का गुमनाम सिपाही” अभियान ऐसे ही भूले-बिसरे वीरों की गाथा खोजकर आपके सामने लाता रहेगा।

अगले अंक में हम फिर एक ऐसे गुमनाम सिपाही को खोजकर लाएंगे, जिसने देश की आजादी के लिए अपना सब कुछ न्यौछावर कर दिया था।

- Advertisement -

- Advertisement -

News Add 3 sks

Get real time updates directly on you device, subscribe now.

- Advertisement -

Sampurn Bharat Banner

- Advertisement -

Neta ji