बनमनखी(पूर्णियां):- पूर्णियां जिला के बनमनखी प्रखंड क्षेत्र के काझी हृदयनगर पंचायत स्थित धीमेश्वर धाम महादेव के शिवलिंग पर श्रावण की दूसरी सोमवारी को लगभग 50 हजार कांवरियों ने शांतिपूर्वक जलाभिषेक किया. इसके लिए अनुमंडल प्रशासन ने पूर्ण व्यवस्था कर रखी थी. दूसरी सोमवारी को भीड़ अधिक होने के कारण विशाल बजरंगवली चौंक, देवोत्तर मोड़ एवं धीमा गांव स्थित मंदिर के मुख्य द्वार पर भारी संख्यां में पुलिस बल को तैनात किया गया था.
जो मंदिर आने– जाने वाले सभी कांवारियां को कतार बद्ध करने में लगे हुए थे. इसके अलावा मंदिर परिसर के अंदर तक कांवरियों को भारी सुरक्षा व्यवस्था के बीच लम्बी कतारों को गुजरना पड़ा. पुरुष एवं महिला कतारों की सुरक्षा के लिए पुरुष एवं महिला आरक्षी मुस्तैद होते थे. मंदिर परिसर की ओर जाने वाली लंबी कतारों की निगरानी स्वयं बनमनखी थाना अध्यक्ष सुनील कुमार मंडल कर रहे थे.
*कांवरियों ने उत्तर वाहिनी मनिहारी गंगा से पवित्र जल लाकर चढ़या:-*
बनमनखी के धीमेश्वर धाम मंदिर में सुबह से लेकर देर शाम तक शिव भक्तों ताँता लगा रहा. सोमवार की अलहे सुबह उत्तर वाहिनी गंगा मनिहारी से जल भर कर कांवरिया की जत्था बाबा उग्रेश्नाथ के अति प्राचीन आपरुपी शिवलिंग पर जलाभिषेक किया. इस दौरान बोल बम का नारा है बाबा एक सहारा है व हर-हर महादेव के जयकारे से पूरा इलाका गूंज उठा. गौरतलव है कि सावन की दूसरी सोमवारी को अहले सुबह से ही कांवरियों का जत्था बनमनखी के धीमेश्वर धाम स्थित उग्रशनाथ महादेव के जलाभिषेक को पहुंचने लगा था.
जबकि सैकड़ों भक्त रविवार की रात को ही पहुंच गए थे. सोमवार को दिन भर भक्तों की लम्बी कतारें लगी रही. जिसे प्रशाशन ने एक एक कर सभी कांवरिया को भगवान भोलेनाथ के दर्शनकराने में सहयोग किया. इधर अनुमंडल पदाधिकारी मो अहमद अली अंसारी,अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी हुलास कुमार, प्रखंड विकास पदाधिकारी सरोज कुमार,अंचल पदाधिकारी अर्जुन कुमार विश्वास, नगर परिषद बनमनखी के कार्यपालक पदाधिकारी चन्द्रराज प्रकाश,मनरेगा कार्यक्रम पदाधिकारी रविंद्र तांती,सब रजिस्टर सत्या राय आदि श्रावणी मोहोत्सव के दूसरी सोमवारी में अत्यधिक भीड़ के मध्यनजर लगातार मंदिर का जायजा लेते रहे. तथा मेला परिसर में तैनात दंडाधिकारी व पुलिस पदाधिकारी को आवश्यक दिशा निर्देश देते रहे.
*सावन में शिवलिंग पर जलाभिषेक का क्या है महत्व :-*
मंदिर में तैनात पंडितों के अनुसार सावन का महीना शिव और शिव भक्तों का प्रिय महीना है. इस महीने में भोलेनाथ के लिंग रूप की पूजा का खास महत्व है. कहा जाता है कि इस महीने में शिवलिंग पर जल चढ़ाने वाले शिवभक्तों की सारी मुराद और उनकी मनोकामनाएं पूरी होती हैं.
*सावन में ही हुआ था समुद्र मंथन :-*
प्रख्यात पंडित लाल झा ने बताया कि पौराणिक कथाओं के अनुसार सावन महीने में ही समुद्र मंथन किया गया था. समुद्र मथन के बाद जो हलाहल विष निकला था, उसे भगवान शंकर ने कंठ में समाहित कर सृष्टि की रक्षा की. लेकिन विषपान से महादेव का कंठ नीला पड़ गया. इसलिए महादेव को नीलकंठ के नाम से भी पुकारा जाने लगा. ऐसी मान्यता है कि विष का प्रभाव कम करने के लिए सावन में नीलकंठ पर जल चढ़ाया जाता है. यही वजह है कि दूसरे महीनों के मुकाबले सावन में शिवलिंग पर जल चढ़ाने का खास महत्व है. शिवपुराण में भी वर्णित है कि भगवान शिव स्वयं ही जल हैं. इसलिए जल से उनकी अभिषेक के रूप में अराधना किया जाता है.