भागलपुर जिला का संक्षिप्त इतिहास:-भागलपुर जिला बिहार राज्य के पूर्वी भाग में गंगा नदी के दक्षिणी तट पर बसा हुआ है| भागलपुर शहर भागलपुर प्रमंडल एवं जिला मुख्यालय के साथ सदर अनुमंडल भी है| भागलपुर जिला में तीन अनुमंडल नवगछिया, भागलपुर और कहलगांव है| इस जिला के अंतर्गत १६ प्रखंड और १६ अंचल आते है| इस जिले में १५१५ गाँव और ४ कसबे है| वर्तमान का भागलपुर जिला मुग़ल काल में बिहार सूबे के दक्षिण पूर्व का हिस्सा था| जब १७६५ में बिहार, बंगाल और ओड़िसा की दीवानी ईस्ट इंडिया कंपनी को प्रदान की गयी थी उस समय यह मुनर सरकार के बड़े क्षेत्र का हिस्सा था| वर्तमान का मुंगेर जिला इसी जिले का हिस्सा रहा है जिसे १८३२ में अलग किया गया था| पुनः १८५५-५६ में संथाल परगना को अलग कर एक नया जिला बनाया गया जो वर्तमान में झारखण्ड राज्य का हिस्सा है| १९५४ में गंगा के उत्तर में बिहपुर, नवगछिया और गोपालपुर पुलिस स्टेशन जो वर्तमान में प्रखंड भी है को छोड़कर सहरसा जिला का गठन किया गया| वर्ष १९९१ में पुनः एक विभाजन कर बांका को जिला का दर्जा दिया गया|
भागलपुर का आरंभिक इतिहास:-महाकाव्यों और पुराणों में संरक्षित परंपराओं के अनुसार, मनु के महान पोते, अनु की संतान ने पूर्व में अनावा राज्य की स्थापना की थी| इसके बाद यह राज्य रजा बलि के पांच बेटों में विभाजित किया गया जिसे अंग, बंगा, कलिंग, पुंडिया और सुधा के रूप में जाना जाता है| अंग के राजाओ में जिनके बारे में कुछ सन्दर्भ है, लोमोपाडा, अयोध्या के रजा दशरथ के समकालीन एवं उनके मित्र थे| उनका महान पोता चंपा था, जिसके नाम पर ही अंग की राजधानी चंपा के नाम से जानी गयी| चंपा के पूर्व अंग की राजधानी मालिनी के नाम से जनि जाती थी| अंग और मगध का पहला उल्लेख अथर्ववेद संहिता में वैदिक साहित्य में मिलता है| बौध धर्म-ग्रंथों में उत्तरी भारत के विभिन्न राज्यों के बीच अंग का उल्लेख किया गया है| एक मान्यता के अनुसार अंग के राजा ब्रह्मदत्ता ने मगध के राजा भट्टिया को हराया था| लेकिन उत्तरार्ध में बिम्बिसार (५४५ईशा पूर्व) ने अपने पिता की हार का बदला लिया और अंग को अपने कब्जे में ले लिया| कहा जाता है की मगध के अगले राजा अजातशत्रु ने अपनी राजधानी को चंपा में स्थानांतरित कर दिया| सम्राट अशोक की माँ सुभाद्रंगी, चंपा के एक गरीब ब्राह्मण लड़की थी, जो शादी में बिन्दुसार को दी गयी थी| अंग नन्द, मौर्य(३२४-१८५ ईशा पूर्व), सुगास(१८५-७५ ईशा पूर्व) और कनवास(७५-३० ईशा पूर्व) तक मगध साम्राज्य का हिस्सा बना रहा| कनवास के शासन के दौरान कलिंग के राजा खरवेला ने मगध और अंग पर आक्रमण किया| अगले कुछ शताब्दियों का इतिहास चन्द्रगुप्त प्रथम (३२० ईस्वी) के राज्याभिषेक तक सीमित नहीं है बल्कि यह अस्पष्ट है| अंग महान गुप्त राज्य क्षेत्र का भी हिस्सा था| लेकिन गुप्त शासन के कमजोर होने पर गौड़ राजा शशांक ने ६०२ ईस्वी में इस क्षेत्र पर कब्ज़ा कर लिया और अपनी मृत्यु ६२५ ईस्वी तक प्रभाव कायम रखा| शशांक के मृत्यु के उपरांत यह क्षेत्र हर्ष के प्रभाव में आया| उसने मगध के राजा के रूप में माधव गुप्त को स्थापित किया| उनके बेटे आदित्यसेना ने मंदार हिल में एक शिलालेख छोड़ा है जो उनके द्वारा नरसिंह या नरहरि मंदिर के स्थापना का संकेत देता है| ह्वेनसांग अपनी यात्रा के दौरान चंपा नगर का दौरा किया| उन्होंने यात्रा विवरणी में चंपा का वर्णन किया है|