*नववर्ष-2024: पिकनिक मनाने का है मन तो आइए सिकलीगढ़ का वन.*
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सुनील सम्राट,पूर्णियां(बिहार):-नव वर्ष 2024 में यदि आप पिकनिक मनाने का मन बना लिए हैं तो आपके लिए परफेक्ट पिकनिक स्पॉट सिकलीगढ़ का बन है.जी हां पूर्णियां जिला का बनमनखी अनुमंडल कई माईने में सबसे अलग सबसे जुदा है.एक तरफ यह भगवान नरसिंह की अवतरण स्थल है तो दूसरे तरफ महान संत महर्षि मेंहीं की कर्म भूमि के रूप में विख्यात है.ऊपर से सिकलीगढ़ किला का मनोरम दृश्य अपने आप मे कई राज समेटे हुए हैं.जहां प्रत्येक वर्ष नए साल में हजारों की संख्या में लोग पूजा अर्चना के साथ साथ पिकनिक मनाने पहुचते रहे हैं.आने वाले नाव वर्ष में आपका सिड्यूल कितने भी बिजी क्यों न हो ,कुछ समय निकालकर दोस्तों ,परिवार और बच्चों के साथ पिकनीक प्लांट करें.यहां हम आपको बनमनखी के कुछ मशहूर पिकनिक स्पॉट के बारे में बता रहे हैं,जहां आप पहुच कर भक्ति के साथ मनोरंजन का लुप्त उठा सकते हैं.
नरसिंह मंदिर :-
बनमनखी अनुमंडल मुख्यालय से सटे एनएच 107 के उत्तर दिशा में अवस्थी नरसिंह अवतार स्थल की एक अलग पहचान है.यहां नरसिंह का भव्य मंदिर के साथ एक ऐसा माणिक स्तंभ है जिसका उल्लेख भागवत गीता में भी है.बताया जाता है कि यह स्थल कभी हिरण्यकश्यप का गढ़ हुआ करता था.जो खुद को भगवान मानता था.उनके घर भक्त प्रहलाद का जन्म हुआ और वह श्री हरि का भक्ति में लीन हो गया.जिसे देख हिरण्यकश्यप क्रोधित हो गया और अपने पुत्र को मारने हेतु प्रयत्न करने लगा.इसी कड़ी में हिरण्यकश्यप की बहन होलिका जिसे वारदान था कि अग्नि उसे नही जला सकती है ने अपने भतीजे प्रह्लाद को गोद मे लेकर अग्नि कुंड में बैठ गयी.इस बार भगवान विष्णु ने अपने भक्त प्रह्लाद को बचा लिया ओर होलिका उसी अग्नि कुंड में जलकर भष्म हो गयी.उसी दिन से ही बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक होलिका दहन की परम्परा की शुरुआत हुई जो आज तक कायम है.इसके बाद जब हिरण्यकश्यप का अत्याचार बढ़ गया तो भगवान नरसिंह ने एक खम्भ से अवतरित होकर हिरण्यकश्यप का वद्ध किया था.और अपने भक्त प्रह्लाद की रक्षा की थी.वह खम्भ आज भी मंदिर परिसर में मौजूद है जिसे माणिक स्तम्भ कहा जाता है जिसका लोग भगवान के रूप में पूजा अर्चना करते है.नव वर्ष में यह जगह सबसे सटीक है जहां पूजा पाठ के साथ पिकनिक मना कर पुरानी यादों को समेट सकते हैं.
धरहरा में मौजूद मेंहीं धाम नव वर्ष में सत्यसंग प्रेमियों के लिए अनूठा धाम के रूप में माना जाता है.यह कही स्थल है जहां विश्व विख्यात महर्षि मेंहीं बाबा ने वर्षों तक एक गुफा में तपस्या कर जग का कल्याण किया था.बताया जाता है कि मेंहीं बाबा उस गुफा में वर्षों तक बिना अन-जल के साधना में लीन रहे जिसके कारण जमीन से निकली डाभ व कुश उनके शरीर को भेदकर बाहर निकल गए थे.उनकी साधना और तपस्या का हीं प्रतिफल है कि आज पूरे विश्व मे संत मेंहीं बाबा का लाखों अनुयायी है.जो नित्य जरूरतमंद की सेवा करना अपना फर्ज मानते हैं.यहां नववर्ष में सत्यसंग के साथ भव्य भंडरा का आयोजन होता है.यहां नव वर्ष में बिहार सहित कई प्रांत के अनुयायी पहुच कर नव वर्ष को यादगार बनाते हैं।
धिमेश्वर धाम:-
बनमनखी अनुमंडक से उत्तर धीमा ग्राम में अवस्थित धिमेश्वर धाम का महिमा अपरंपार है.यू तो यहां हर दिन शिव भक्त पूजा पाठ करने पहुचते हैं.लेकिन नव वर्ष में यहां का अलग हीं नजारा होता है.कोसी-सीमांचल में मिनी बाबा धाम के नाम से विख्यात धिमेश्वर धाम मंदिर में हिरण्यकश्यप,राजा कर्ण सहित कई राजा महाराजा ने पूजा अर्चना कर भोलेनाथ का सानिध्य पाया है.बताया जाता है कि जो भी भक्त सच्चे हृदय से यहां पूजा करते उनकी मनोकामनाएं भगवान भोलेनाथ अवश्य पूरा करते हैं.नव वर्ष में यहाँ मंदीर कमिटी के द्वारा भक्तों के लिए तमाम सुविधा उपलब्ध कराते हैं ताकि लोग पूजा पाठ के बाद मंदिर परिसर के बाहर पिकनिक का लुफ्त उठा सके.
बनमनखी का सिकलीगढ़ किला पिकनीक मनाने के लिए सबसे उत्तम जगह है.यह इलाक़ा चारों तरह जंगल से घिरा हुआ है.किला के अंदर हनुमान जी का मंदिर,गौशाला भी है.जहां पूजा अर्चना के साथ गौ सेवा का भी अवसर मिलेगा.साथ हीं यहाँ का बनभोज कई मायने में अलग है.यह वही स्थल है जहां लोग दिन भर रहकर न केवल पिकनिक का इज्वय करते हैं बल्कि शहरी आवोहवा से दूर ग्रामीण परिवेश में घुल जाते हैं और प्राकृतिक वातावरण का तस्वीर खिंचकर अपने आने वाले पीढ़ी के लिए प्रेरणास्रोत बना जाते हैं.