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सच दिखाने का जज्बा

कौन जाने कब किस सफर में,,,,,,

लेखक:-संदीप कुमार अररिया बिहार

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कौन जाने कब किस सफर में निकलना होगा
कब कहां कैसे किस हाल में चलना होगा
बड़ा मुश्किल है आगे के समय को भांपना
तेवर रखो नर्म क्या पता किससे होगा आमना- सामना।।

यह समय है किस पथ पर कल लाकर खड़ा कर देगा
किसको बड़ा किसको छोटा कर देगा
ना जानते हैं हम ना जानते हैं आप
इसीलिए रखो नरम दिल, नरम मिजाज।।

समय करवट लेते देर नहीं होता
प्रभु के घर में देर है अंधेर नहीं होता
आज तक हम जिसे छोटा मानते आए हैं कल वह गोटा हो जाएगा
किसको खबर रब का हाथ किसके सर पर खोटा हो जाएगा ।।

इसीलिए स्वच्छ और सुंदर सोच से आगे बढ़िए
किसी पर अपना रौब झाड़ा न करिए
जो जितना ,जैसा समझता है उतना करता है
आरोप , प्रत्यारोप जड़ा न कीजिए।।

कौन जाने कब किस सफर में,,,,,,

संदीप कुमार
अररिया बिहार

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