धमदाहा(पुर्णिया):-राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के आदेश के आलोक में बुधवार धमदाहा अंचल कार्यालय में अपर अनुमंडल पदाधिकारी डॉ संजीव कुमार सज्जन एवं कार्यपालक दंडाधिकारी पूर्णिया सदर जानकी कुमारी के द्वारा औचक निरीक्षण किया गया. जिसमें आम नागरिकों के महत्व के कुल 08 विषय जांच हेतु आवंटित किए गए थे जिसमें ऑनलाइन भूमि दाखिल खारिज की स्थिति, ऑनलाइन भूमि जमाबंदी का परिमार्जन की स्थिति, सरकारी भूमि एवं सार्वजनिक जल निकायों से अतिक्रमण हटाने की स्थिति, भूमि दखल कब्जा प्रमाण पत्र जाति आवासीय आय प्रमाण पत्र आदि, लोक शिकायत निवारण अधिनियम के अंतर्गत पारित आदेशों के अनुपालन की स्थिति, ऑपरेशन भूमि दखल देहानी, वास भूमि बंदोबस्ती, जमीन नापी से संबंधित आवेदनों का ससमय निष्पादन आदि शामिल थे. बिहार राज्य के सभी अंचलों में एक साथ भूमि एवं राजस्व विभाग के कार्यों की जांच के क्रम में यह जांच की गई है. जांच दल ने राजस्व के तकनीकी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए सुबह 10 बजे से शाम 05 बजे तक अंचल कार्यालय धमदाहा में गहन जांच किया गया. जांच दल में अंचलाधिकारी रवि प्रसाद, राजस्व पदाधिकारी कमलकांत सहित अन्य अंचल कर्मी उपस्थित थे.
ऑनलाइन भूमि दाखिल खारिज के मामले में 35 दिवसीय एवं 75 दिवसीय आपत्ति प्राप्त मामले की गहन समीक्षा की गई. दाखिल खारिज के ऐसे मामले जो और अस्वीकृत किए गए हैं तथा आपत्ती के पश्चात स्वीकृत किए गए हैं उन सभी मामलों के अभिलेखों का निरीक्षण किया गया. अभिलेखों के जांच के दौरान मुख्य रूप से यह देखा गया कि रैयतों को जानबूझकर परेशान अथवा अनावश्यक पत्राचार तो नहीं किए जा रहे हैं.
ऑनलाइन जमाबंदी का परिमार्जन एवं शुद्धिकरण जिसमें परिमार्जन पोर्टल के माध्यम से रैयतों का नाम खाता खेसरा रकवा लगान इत्यादि में सुधार होता है का निष्पादन 30 से 45 कार्य दिवस में होता है या नहीं, ऐसे अभिलेख की जांच की गई. कुछ राजस्व कर्मचारियों द्वारा जानबूझकर परिमार्जन अथवा दाखिल खारिज के मामले को समय पर निष्पादन नहीं किया जा रहा है तथा बिना किसी ठोस कारण के रद्द भी किया जा रहा है, ऐसे राजस्व कर्मचारियों की पहचान की गई है,जिनके विरूद्ध कार्रवाई की जाएगी.
जमाबंदी पंजी में सभी इंद्राज समरूप हैं या नहीं यह भी देखा गया. दाखिल खारिज के मामले में निर्गत शुद्धि पत्र एवं परिमार्जन के पश्चात निर्गत शुद्धि पत्र के आधार पर ऑनलाइन जमाबंदी एवं वास्तविक मूल जमाबंदी पंजी में दर्ज सभी इंद्राज किए जा रहे है या नहीं, देखा गया. यह पाया गया की कई राजस्व कर्मचारी रजिस्टर 2 का नियमित संधारण नही करते हैं तथा जो प्रविष्टि कर भी रहे हैं उस पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं. जांच दल ने फटकार लगाते हुए राजस्व कर्मचारी एवं सीआई को हस्ताक्षर करते हुए अंचलाधिकारी का भी प्रति हस्ताक्षर लेने का निर्देश दिया.
अपर एसडीओ ने बताया कि अंचल में सरकारी भूमि एवं सार्वजनिक जल निकायों पर अतिक्रमण के मामले की भी जांच की गई. भूमि दखल कब्जा प्रमाण पत्र ऑफलाइन 194 प्राप्त हुए जिसमें 184 को निष्पादित कर दिया गया है, जबकि ऑनलाइन 97 प्राप्त हुए सभी निष्पादित किए जा चुके हैं. लोक शिकायत निवारण अधिनियम के अंतर्गत पारित आदेशों के अनुपालन में कुल 242 आवेदन प्राप्त हुए थे. जिसमें 187 आवेदन निष्पादित किए जा चुके हैं जबकि 55 मामले वर्तमान में चल रहे हैं. तीन मामले में अतिक्रमण हटाने से संबंधित है जिसमें पुलिस बल की मांग की गई है.
जमीन मापी से संबंधित पिछले वित्तीय वर्ष में कुल 130 मामले प्राप्त हुए थे जिसमें 90 निष्पादित किए जा चुके हैं जबकि इस वित्तीय वर्ष में 30 मामले प्राप्त हुए जिसमें अभी तक तीन मामले का निष्पादन किया जा चुका है. इस संबंध में पूछे जाने पर अंचल अधिकारी द्वारा बताया गया कि वर्तमान समय में अंचल में अमीन की सख्त कमी है, मात्र एक अमीन है जो 3 दिन बरहरा कोठी एवं 03 दिन धमदाहा अंचल में कार्य करते हैं.
अपर एसडीओ एवं एक्जीक्यूटिव मजिस्ट्रेट द्वारा अंचल के अभिलेखागार का भी निरीक्षण किया गया तथा अभिलेख के खराब रखरखाव पर आपत्ति जताई एवं किसी नियमित कर्मचारी को इसकी जिम्मेदारी देने का निर्देश दिया. बाद में आरटीपीएस काउंटर का भी निरीक्षण किया गया तथा आवेदन कर रहे व्यक्तियों से पूछताछ भी की गई. विभिन्न सेवाओं हेतु प्राप्त आवेदनों के सुचारू क्रियान्वयन हेतु कार्यों का उचित बटवारा तथा अन्य सुविधा बढ़ाने का निर्देश दिया गया. एक दिवसीय निरीक्षण के दौरान अंचल कार्यालय में दिनभर गहमागहमी बनी रही. अपर एसडीओ डॉ संजीव ने बताया कि राज्य के नागरिकों एवं भू धारियों को भूमि संबंधित मामलों का पारदर्शिता पूर्ण, ससमय एवं त्वरित निष्पादन के साथ सुविधा प्रदान करना सरकार का उद्देश्य है. इस दिशा में विभिन्न विभागीय विषयों एवं मामलों के निष्पादन में सूचना प्रौद्योगिकी के माध्यम से नवाचार स्थापित किया गया है, जिससे रैयतों को काफी सुविधाएं प्राप्त हो रही है. विभागीय स्तर पर यह संज्ञान लिया गया है कि अंचल कार्यालयों के अधीन भूमि से संबंधित विभिन्न मामलों का निष्पादन निर्धारित समय सीमा के अनुसार नियमानुसार नहीं किया जा रहा है. साथ ही जिन मामलों का निष्पादन अंचल स्तर पर हुआ भी है, उन मामलों में भी कई त्रुटियां विद्यमान है. ऐसी पृष्ठभूमि में अक्सर ही भूमि विवाद विधि व्यवस्था में व्यवधान उत्पन्न करते हैं. इसी परिपेक्ष में यह जांच कार्यक्रम किया गया था.