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*सुहाग की अखंड ज्योति, आस्था और अमर प्रेम का पर्व.*

🌕 करवा चौथ विशेषांक 2025

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सुहाग की अखंड ज्योति, आस्था और अमर प्रेम का पर्व

 

फीचर डेस्क | पूर्णिया। आज करवा चौथ का पर्व देशभर में हर्षोल्लास और श्रद्धा के साथ मनाया जा रहा है। यह दिन भारतीय नारी की अटूट निष्ठा, त्याग और प्रेम का प्रतीक है। सुहागिनें सुबह से निर्जला व्रत रखकर अपने पति की लंबी आयु और मंगलकामना करती हैं। शाम ढलते ही सोलह श्रृंगार में सजी महिलाएँ चाँद का दीदार कर व्रत खोलती हैं।

 

🌸 पर्व का महत्व:-करवा चौथ कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है।‘करवा’ का अर्थ है मिट्टी का कलश और ‘चौथ’ का मतलब चौथी तिथि।
यह पर्व न केवल सुहागिनों के लिए व्रत का दिन है, बल्कि वैवाहिक प्रेम, आस्था और अखंड सौभाग्य का उत्सव भी है।यह व्रत नारी की आत्मिक शक्ति और निष्ठा का परिचायक है, जो अपने पति की रक्षा और दीर्घायु के लिए तपस्या के समान उपवास करती है।

 

🪔 आज की झलक: बनमनखी, पूर्णिया, कटिहार, अररिया सहित पूरे सीमांचल क्षेत्र में बाजारों में सुबह से ही रौनक रही।मेंहदी, साड़ी, चूड़ी और श्रृंगार सामग्री की दुकानों पर महिलाओं की भीड़ लगी रही।शाम को छतों पर छलनी लिए सजी महिलाएँ जैसे ही चाँद का दीदार करती दिखीं, पूरा वातावरण भक्ति और प्रेम से भर उठा।
पति-पत्नी ने एक-दूसरे के हाथों से जल ग्रहण कर व्रत तोड़ा और जीवनभर साथ रहने का संकल्प लिया।

 

📖 कथा बॉक्स: वीरवती की कहानी:-एक समय की बात है, वीरवती नामक रानी ने विवाह के बाद पहला करवा चौथ व्रत रखा। वह मायके में थी और दिनभर निर्जला रही। रात को जब चाँद नहीं निकला, वह भूख-प्यास से बेहाल हो गई। भाइयों ने छल से पेड़ पर दीपक रख चाँद जैसा आभास कराया। वीरवती ने व्रत तोड़ दिया — और उसी क्षण उसके पति की मृत्यु हो गई।
वह पछताई और देवी की आराधना की। उसकी सच्ची निष्ठा से प्रसन्न होकर देवी ने पति को पुनर्जीवित कर दिया। तभी से यह व्रत पति की दीर्घायु और अखंड सौभाग्य के लिए रखा जाने लगा।

 

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🐚 लोककथा: करवा और यमराज: दूसरी कथा में ‘करवा’ नामक पतिव्रता स्त्री की चर्चा मिलती है।
उसके पति को मगरमच्छ ने पकड़ लिया था।करवा ने धागे से मगर को बाँध लिया और यमराज से पति को बचाने की प्रार्थना की।यमराज ने उसकी भक्ति देखकर पति को जीवनदान दिया।तभी से इस पर्व का नाम पड़ा ‘करवा चौथ’ — यानी करवा जैसी नारी की दृढ़ आस्था का प्रतीक दिन।

 

🌙 चाँद और छलनी का प्रतीक:  करवा चौथ का सबसे सुंदर दृश्य वह होता है जब स्त्रियाँ छलनी से चाँद और पति का चेहरा देखती हैं। चाँद इस दिन शीतलता, दीर्घायु और शांति का प्रतीक है।यह मान्यता है कि जैसे चाँद की चमक सदा बनी रहती है, वैसे ही सुहागिन का सौभाग्य भी अखंड बना रहे।

 

💞 परंपरा में आधुनिकता: अब यह पर्व सिर्फ परंपरा तक सीमित नहीं रहा। कई पति भी अपनी पत्नियों के साथ व्रत रखते हैं।सोशल मीडिया पर #KarwaChauth2025 ट्रेंड कर रहा है।
लोग प्रेम, समानता और रिश्ते की गहराई को इस दिन के ज़रिए अभिव्यक्त कर रहे हैं।

 

🕊️ संदेश: करवा चौथ का असली अर्थ सिर्फ व्रत या रिवाज नहीं, बल्कि विश्वास और समर्पण की अमर परंपरा है। यह पर्व सिखाता है कि प्रेम त्याग में है, आस्था धैर्य में और सौंदर्य निष्ठा में।

“जहाँ विश्वास की ज्योति जलती है, वहाँ जीवन का हर करवा अमर हो जाता है।”

 

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