श्रीमद् भागवत कथा के कृष्ण सुदामा चरित्र उपरांत आचार्य श्री भरत जी महाराज एवं भक्तगण द्वारा हवन आहुति कर विश्राम किया गया।
सात दिनों तक बनमनखी वृंदावन नगरी जैसी प्रतीत हो रही थी।
प्रतिनिधि, बनमनखी(पूर्णिया):- बनमनखी अनुमंडल अंतर्गत भक्त प्रल्हाद नगरी में श्रीमद् भागवत कथा के सातवें दिन कृष्ण सुदामा मिलन चरित्र वर्णन एवं आठवें दिन आचार्य श्री भरत जी महाराज एवं श्रद्धालुओं के द्वारा हवन आहुति कर श्रीमद् भागवत कथा का समापन किया गया। सात दिनों तक बनमनखी वृंदावन नगरी जैसी प्रतीत हो रही थी। इस ज्ञानयज्ञ की चर्चाएं बनमनखी के हर चौक चौराहे पर जोरो – शोरों से हो रही थी। श्रीमद् भागवत समस्त वेदों, शास्त्रों और उपनिषदों का सार है। यह मृत्यु को सवारने का दिव्य दर्शन है। यह प्रेम स्वरूपा भक्ति का चिन्मय सास्वत ग्रंथ है। यह समस्त दुखों एवं विचारों तथा संतानों का दमन करने वाला है। यह जगत के समस्त धर्मों का समन्वात्मक रूप है। इस कथा के अंतर्गत परीक्षित जन्म कथाएं, धुंधकारी गोकर्ण की कथाएं, कपिल मुनि की चर्चा सती चरित्र, ध्रुव चरित्र ,भरत चरित्र ,भक्त प्रल्हाद चरित्र, श्री राम जन्म कथाएं एवं श्री कृष्ण जन्म व उनकी बाल लीलाएं, गोवर्धन पूजा ,कृष्ण रुक्मणी विवाह ,सुदामा चरित्र उसके पश्चात परीक्षित मोक्ष इत्यादि कथाएं वर्णन की गई। हवन पूर्णाहुति कर श्रीमद् भागवत कथा का विश्राम किया गया। आचार्य भरत जी महाराज के द्वारा आयोजक विक्रम प्रताप सिंह एवं संगीता सिंह को इतना बड़ा आयोजन करवाने के लिए धन्यवाद ज्ञापन किया गया। विहिप प्रखंड अध्यक्ष शिव शंकर तिवारी का भी आचार्य जी के द्वारा अभिवादन किया गया साथ ही श्रीमद् भागवत कथा में लगे सभी कार्यकर्ताओं एवं प्रतिदिन आए हुए श्रद्धालुओं का भी अभिवादन किया गया। इस अवसर पर विहिप के शिव शंकर तिवारी,अजय सिंह शिव शिष्य, विजय सिंह ,दिलीप चौधरी, राजन सिंह ,आशीष सिंह, दिनकर पांडे ,गौरव डोकानिया, प्रमोद सिंह, राजेश सिंह, कन्हैया कुमार, राजेश यादव समिति प्रतिनिधि नंदन कुमार आदि उपस्थित थे।