पूर्णियां(बिहार):- बिहार के शिक्षा मंत्री प्रो. चंद्रशेखर के द्वारा शनिवार को दिए गए बयान जिसमें बिहार के नियोजित शिक्षकों को बीपीएससी द्वारा आयोजित परीक्षा पास करने के बाद ही शिक्षक कहलाने के योग्य होंगे, उनके कथना अनुसार बिहार के चार लाख नियोजित शिक्षक वर्तमान में शिक्षक कहलाने के लायक नहीं है, इस बयान से बिहार के चार लाख नियोजित शिक्षकों के सम्मान को ठेस पहुंचाने का काम किया गया है, संयुक्त शिक्षक संघर्ष मोर्चा बिहार, जिला इकाई पूर्णिया के सदस्य सह जिला संयोजक मंडल सदस्य बिहार पंचायत नगर प्रारंभिक शिक्षक संघ जिला पूर्णिया सुशील कुमार आर्य ने कहा कि बिहार के शिक्षा मंत्री को इस तरह के भाषा का प्रयोग कहीं से भी शोभा नहीं देता है, जबकि माननीय शिक्षा मंत्री महोदय खुद भी प्रोफ़ेसर है, ओर प्रोफ़ेसर होकर इस तरह की भाषा का प्रयोग करना बिहार के नियोजित शिक्षकों के सम्मान को ठेस पहुंचाने के साथ साथ शिक्षकों के योग्यता पर सवाल उठाने का काम किया है, जब भी बिहार के नियोजित शिक्षक सरकार द्वारा आयोजित दक्षता परीक्षा, टेट परीक्षा, पास करने के बाद ही कर शिक्षक के पद पर बने हुए हैं, फिर उनके योगदान पर प्रश्न उठाने का मतलब है सरकार द्वारा आयोजित परीक्षा पर सवाल उठाने का काम किया है।
वही संयुक्त शिक्षक संघर्ष मोर्चा जिला इकाई पूर्णिया के सदस्य सह परिवर्तनकारी प्रारंभिक शिक्षक संघ के जिला अध्यक्ष अरुण आरुणि ने भी शिक्षा मंत्री के उस बयान पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा है कि बिहार की शिक्षा की डोर विगत अठारह वर्षों से इन्हीं नियोजित शिक्षकों पर ही टिका हुआ है, शायद शिक्षा मंत्री जी भुल रहे हैं। शिक्षा मंत्री जी का इस तरह का बयान कहीं से भी उचित नहीं है। उन्होंने कहा कि आप एक हीं शिक्षक का कितनी बार व कबतक परीक्षा पे परीक्षा लेते रहेंगे। उम्र के आधे पराव को पार कर चुके इन शिक्षकों ने अपनी योग्यता को कई बार प्रमाणित भी कर चुके हैं। इन नियोजित शिक्षकों द्वारा पढाए गए ना जाने कितने बैच निकल चुके हैं और आज अच्छे अच्छे पोस्ट पर सेवा भी कर रहे हैं। संयुक्त शिक्षक संघर्ष मोर्चा जिला इकाई के सदस्य सह अनुसूचित जाति जनजाति शिक्षक संघ के जिला अध्यक्ष तरुण पासवान ने कहा कि शिक्षा मंत्री द्वारा इस तरह के भाषा का प्रयोग नियोजित शिक्षकों को अपमानित करने का काम करेंगे तो आने वाले दिनों में बिहार के चार लाख नियोजित शिक्षक आगामी चुनाव में अपने अपमान का बदला जरूर लेंगे जिसका सीधा प्रभाव महागठबंधन की सरकार पर पड़ेगा अभी भी समय है अभिलंब नियमावली 2023 को निरस्त करते हुए, राज्य कर्मी का दर्जा देने की घोषणा करें ।