*लोकसभा चुनाव को लेकर इस वर्ष भी टला राजकीय होलिका मोहोत्सव,जन भावना को देखते हुए मंदिर कमिटी द्वारा किया जाएगा होलिका दहन.*
सुनील सम्राट,बनमनखी(पूर्णिमा):-फिर होली आई है और अनुमंडल के लोग उस दिन को याद कर रहे हैं जब होली की परंपरा यहां की माटी से शुरू हुई थी.बनमनखी अनुमंडल स्थित सिकलीगढ़ धरहरा आज भी उस दिन का जीवंत गवाह है.जब हिरण्यकश्यपु का वध यहीं हुआ था और वरदान के वावजूद हलिका जलकर भष्म हो गई थी.यह स्थल भगवान नरसिंह के अवतार स्थल के रूप में विख्यात है और यहाँ के वासिंदों के लिए गर्व का विषय है कि प्रेम व भाईचारे की होली बनमनखी के सिकलीगढ़ की देन है. उस दिन को हर साल यादगार बनाने के लिए हजारों की तादाद में सिकलीगढ़ धरहरा में लोग होलिका दहन के लिए जुटते हैं.वर्ष 2018 से सरकारी स्तर पर मनाए जाने वाले होलिका मोहोत्सव कार्यक्रम लोकसभा चुनाव का भेंट चढ़ गया.हालांकि भक्तों एवं स्थानीय लोगों की जनभावना को देखते हुए इस बार भक्त प्रहलाद स्तंभ विकास ट्रस्ट की ओर से रविवार को हनेवाली होलिका दहन कार्यक्रम की तैयारी पूरी कर ली है.इसके लिए होलिका का विशाल पुतला तैयार किया गया है.भक्त प्रहलाद स्तंभ विकास ट्रस्ट की ओर से अनुमंडल प्रशासन को आवेदन देकर कार्यक्रम को सफल बनाने हेतु सहयोग की मांग किया गया.ततपश्चात अनुमंडल पदाधिकारी चंद्रकिशोर सिंह,अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी हुलास कुमार ने भक्त प्रहलाद स्तंभ विकास ट्रस्ट के अध्यक्ष कृष्ण कुमार ऋषि,सचिव राकेश सिंह,कोषाध्यक्ष प्रदीप पौद्दार,अमितेश सिंह के अलावा ट्रस्ट कमिटी के अन्य सदस्यों के साथ कार्यक्रम की सफलता को लेकर तत्पर हैं.
*होली के रंग में भंग डालने वाले हुड़दंगियों पर रहेगी प्रशासन की कड़ी नजर:एसडीएम.
*सिकलीगढ़ किला स्थल से जुड़े वर्तमान साक्ष :-*
बताया जा रहा है गुजरात राज्य के पोरबंदर में विशाल भारत मंदिर है.उस मंदीर में आज भी यह अंकित है कि भगवान नरसिंह का अवतार स्थल बिहार प्रांत के पूर्णियां जिला अंतर्गत बनमनखी अनुमंडल के सिकलीगढ़ धरहरा है.इसके अलावा ब्रिटेन की विलकिपेडिया दि फ्री इनसाइक्लोपीडिया एवं गीता प्रेस गोरखपुर से प्रकाशित कल्याण के 31वें वर्ष के तीर्थांग में इस स्थल की महत्ता का जिक्र है.
*सिकलीगढ़ किला जनभावनाओं के आस्था का प्रतीक के रूप में है विख्यात:-*
बनमनखी अनुमंडल मुख्यालय से सटे सिकलीगढ़ धरहरा में भगवान नरसिंह का भव्य मंदिर है उसके परिसर में एक प्राचीन स्तंभ है.ऐसी धारणा है कि यह स्तंभ उस चौखट का हिस्सा है जहां से भगवान नरसिंह ने प्रकट होकर राजा हिरण्यकश्यप का वध किया था.यह स्तंभ 12 फीट मोटा और करीब 65 डिग्री पर झुका हुआ है.
*सिकलीगढ़ किला के पौराणिक पृष्टभूमि :-*
प्राचीन मान्यता के आनुसार भक्त प्रहलाद की रक्षा के लिए भगवान नरसिंह ने सिकलीगढ़ की पावन भूमि पर अवतार लिया था.कहा जाता है कि राजा हिरण्यकश्यपु राक्षसों का राजा था. उसका एक पुत्र था जिसका नाम प्रह्लाद थे. वह भगवान विष्णु का परम भक्त था. राजा हिरण्यकश्यपु भगवान विष्णु को अपना शत्रु मानता था. जब उसे पता चला कि बालक प्रह्लाद विष्णु का भक्त है तो उसने प्रह्लाद को रोकने का काफी प्रयास किया. लेकिन तब भी प्रह्लाद की भगवान विष्णु की भक्ति कम नहीं हुई. यह देखकर हिरण्यकश्यपु प्रह्लाद को यातनाएं देने लगा.हिरण्यकश्यपु ने प्रह्लाद को पहाड़ से नीचे गिराया,हाथी के पैरों से कुचलने की कोशिश की किंतु भगवान विष्णु की कृपा से प्रह्लाद को कुछ भी नहीं हुआ.हिरण्यकश्यपु की एक बहन थी-होलिका.उसे वरदान था कि अग्नि उसे जला नहीं सकती.हिरण्यकश्यपु ने प्रह्लाद को मारने के लिए होलिका से कहा. होलिका प्रह्लाद को गोद में बैठाकर आग में प्रवेश कर गई, किंतु भगवान विष्णु की कृपा से भक्त प्रह्लाद बच गया और होलिका जल कर भष्म हो गयी.उसी तरह हिरण्यकश्यपु को बरदान था कि न जमीन, न आकाश, न घर, न बाहर,न कोई नर या फिर कोई जानवर उसे नहीं मार सकेगा.तब भगवान नरसिंह ने चौखट पर नरसिंह स्वरूप अवतार लिया और अपने जंघे पर रख कर हिरण्यकश्यप का बध किया.वहीं से बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक के रूप में होली का त्योहार मनाया जाने लगा.जिसकी शुरुआत सिकलीगढ़ से हुई ऐसी मान्याता है.
*सिकलीगढ़ किला में भव्य कार्यक्रम की सुरूआत :-*
बताया जाता है कि सबसे पहले प्रखंड के कुछ लोगो ने इस ऐतिहासिक धरोहर को बचाने का संकल्प लिया था.हर साल होली में यहाँ होलिका दहन का छोटा आयोजन किया जाता था.जिसे देखने के लिए आस पास के लोग आते थे, लोगो का जज्बा देख कर तत्कालीन अनुमंडलाधिकारी केशव कुमार सिंह ने मेला कमिटी को साथ दिया और सभी के अथक प्रयास से भगवान नरसिंग का एक भव्य मंदिर बना.जिस खंम्भे से भगवान विष्णु ने नरसिंग अवतार लिए थे. उस जगह की घेराबंदी कर खंम्भा को सुरक्षित रखा गया.वर्ष 2007 से भव्य होलिका दहन की शुरुआत हुई.इसके बाद हर साल भव्य होलिका दहन के मौके पर हजारों लोग कार्यक्रम में लेते रहे.इधर लोगों की आस्था और सिकलिगढ़ किले की लगातार बढती ख्याति को देखते हुए बिहार सरकार ने वर्ष 2018 से छोटे स्तर पर मनाई जाने वाली होलिका दहन कार्यक्रम को सरकारी खर्चे पर होलिका मोहोत्सवके रूप में मामने का निर्णय लिया.तब से यहाँ हर वर्ष होलिका मोहोत्सव मनाया जाने लगा है.लेकिन इस वर्ष लोकसभा चुनाव के मद्देनजर सरकारी स्तर पर होने वाली कार्यक्रम को स्थगित कर दिया गया है.लेकिन भक्त प्रह्लाद विकास ट्रस्ट की ओर से भव्य होलिका दहन कार्यक्रम किया जाएगा.
*होलिका मोहोत्सव कार्यक्रम की विशेष तियारी :-*
भक्त प्रहलाद विकास ट्रस्ट के अध्यक्ष कृष्ण कुमार ऋषि ने जानकारी देते हुए बताया कि लोकसभा चुनाव के मद्देनजर इस वर्ष सरकारी स्तर पर मनाए जाने वाले होलिका मोहोत्सव पर जिला प्रशासन ने रोक लोगा दिया है.लेकिन स्थानीय लोगों की जनभावनाओं को देखते हुए ट्रस्ट की ओर से होलिका दहन किया जाएगा. जिसकी तैयारी पूरी कर ली गई है.उन्होंने कहा कि होलिका दहन कार्यक्रम में होने वाले अत्यधिक भीड़ के मद्देनजर अनुमंडल प्रशासन को अवगत करा दिया गया है.होलिका दहन कार्यक्रम में अनुमंडल प्रशासन के द्वारा दंडाधिकारी व पुलिस पदाधिकारी की प्रतिनियुक्ति किया गया जा रहा है. सीसीटीवी के जद में मैला की विशेष निगरानी होगी. आवागमन के लिऐ चार मुख्य द्वार बनाये गये हैं. खासकर असामाजिक तत्व से निपटने के लिए सादे लिवास में विशेष बल तैनात रहेंगे.विधि व्यवस्था बनाये रखने के विभिन्न छात्र संगठन व सामाजिक भोलेंटियर को लगाया गया है.उन्होंने कहा कि इस वार छह टावर भी बनाये गये है जिसपर विशेष पुलिस बल तैनात होकर हर आने जाने वाले लोगों की निगेहबानी करेगी.कुल मिला कर व्यवस्था ऐसी की परिंदे भी पर नही मार पाऐंगे.