*धमदाहा की सशक्त आवाज़: मंत्री लेशी सिंह का संघर्ष और सफर.*
बिहार की राजनीति में महिला नेतृत्व की जब भी चर्चा होती है, तो धमदाहा की विधायक सह मंत्री लेशी सिंह का नाम अग्रणी पंक्ति में आता है। पाँच बार विधायक चुनी गईं और राज्य सरकार में मंत्री पद संभाल रही लेशी सिंह का जीवन-सफर संघर्ष, उपलब्धियों और जनसमर्थन का मिश्रण है।
बिहार की राजनीति में महिला नेतृत्व की जब भी चर्चा होती है, तो धमदाहा की विधायक सह मंत्री लेशी सिंह का नाम अग्रणी पंक्ति में आता है। पाँच बार विधायक चुनी गईं और राज्य सरकार में मंत्री पद संभाल रही लेशी सिंह का जीवन-सफर संघर्ष, उपलब्धियों और जनसमर्थन का मिश्रण है।
मालिनियाँ से राजनीति की मुख्यधारा तक: लेशी सिंह का जन्म पूर्णिया जिला के बनमनखी विधानसभा क्षेत्र के मालिनियाँ गांव में हुआ। उनके पिता गंगा प्रसाद सिंह गांव के आयुर्वेदिक अस्पताल में वैद्य थे। यहीं उन्होंने बचपन बिताया और शिक्षा प्राप्त की।
मालिनियाँ निवासी पूर्व मुखिया बटन लाल टुड्डू का बयान इस दावे को और मज़बूत करता है। उन्होंने कहा कि “लेशी सिंह का जन्म और परवरिश मालिनियाँ में ही हुई है।” ख़ुद लेशी सिंह ने भी एक कार्यक्रम में आदिवासी समाज को संबोधित करते हुए यह स्वीकार किया था कि उनका जन्म और परवरिश मालिनियाँ में हुई। उस दिन उन्होंने बटन लाल टुड्डू को आत्मीय भाव से “बड़े भैया” कहकर संबोधित किया।
बाद के वर्षों में जब उनके पिता गंगा प्रसाद सिंह सेवा-निवृत्त हुए, तब परिवार का स्थायी ठिकाना धमदाहा अनुमंडल के सरसी गांव बन गया, जहाँ उनका पैतृक घर है। तब से लेशी सिंह सरसी में रहने लगीं और वहीं से राजनीतिक व सामाजिक गतिविधियों में सक्रिय हुईं।
विवाह और राजनीतिक रिश्ता: लेशी सिंह का विवाह उस दौर में हुआ जब वे बेहद कम उम्र की थीं। उनके पति मधुसूदन सिंह उर्फ बुटन सिंह थे, जो उस समय समता पार्टी के पूर्णिया जिला अध्यक्ष और वर्तमान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के करीबी सहयोगियों में गिने जाते थे।
बूटन सिंह स्थानीय राजनीति में प्रभावशाली नेता थे और इसी रिश्ते ने लेशी सिंह को भी राजनीति की मुख्यधारा से जोड़ा।पति की असामयिक मृत्यु के बाद उन्होंने न केवल पारिवारिक जिम्मेदारियाँ संभालीं, बल्कि राजनीति में भी डटकर खड़ी हुईं और धमदाहा की जनता का विश्वास जीतती चली गईं।
राजनीतिक सफर: जीत की लड़ी: लेशी सिंह ने वर्ष 2000 में धमदाहा विधानसभा सीट से पहली बार जीत दर्ज की। इसके बाद 2005, 2010, 2015 और 2020 — हर चुनाव में जनता ने उन पर भरोसा जताया और वे पाँच बार लगातार विधायक बनीं। उनकी लोकप्रियता का आलम यह है कि धमदाहा विधानसभा सीट को कई राजनीतिक विश्लेषक “लेशी सिंह का किला” कहने लगे हैं।
मंत्री पद और जिम्मेदारियाँ: नीतीश कुमार की सरकार में उन्हें खाद्य एवं उपभोक्ता संरक्षण विभाग का मंत्री बनाया गया। इससे पहले वे बिहार महिला आयोग की अध्यक्ष भी रह चुकी थीं। मंत्री रहते हुए उन्होंने उपभोक्ता अधिकारों की रक्षा, सार्वजनिक वितरण प्रणाली में पारदर्शिता और महिलाओं के सशक्तिकरण पर काम करने की कोशिश की।
विकास और सामाजिक जुड़ाव: धमदाहा की जनता के बीच लेशी सिंह की पहचान सिर्फ़ राजनीति तक सीमित नहीं है। वे धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजनों, जैसे दीनाभद्री मेला, में नियमित रूप से भाग लेती हैं।उन्होंने “दीदियों से दिल की बात” जैसे संवाद कार्यक्रम शुरू कर महिलाओं से सीधे जुड़ाव कायम किया।गांवों की सड़कों, स्वास्थ्य सेवाओं और शिक्षा की ओर उनका विशेष ध्यान रहा है।
चुनौतियाँ और आलोचना: लंबे राजनीतिक जीवन के साथ चुनौतियाँ भी जुड़ीं। विपक्ष ने कई मौकों पर उनके कामकाज और पारिवारिक पृष्ठभूमि को लेकर सवाल खड़े किए।-कुछ विवादों ने उनकी छवि पर असर डालने की कोशिश की, लेकिन धमदाहा की जनता ने बार-बार उन्हें जीताकर यह साबित किया कि स्थानीय स्तर पर उनका विश्वास अब भी अटूट है।
एक प्रेरक यात्रा: पूर्णिया जिले के बनमनखी विधानसभा क्षेत्र के मालिनियाँ गांव से लेकर सरसी के पैतृक घर तक और वहां से बिहार की सत्ता के गलियारों तक का सफर लेशी सिंह की जुझारू प्रवृत्ति और जनता से जुड़ाव का परिणाम है। पति मधुसूदन सिंह के निधन के बाद जिस तरह उन्होंने अकेले दम पर राजनीति में अपनी अलग पहचान बनाई, वह उन्हें बिहार की महिला नेताओं में एक खास स्थान दिलाती है।