वफ़ा के इस सफर में किसी ने जिगर को ताड़ा है
लगता है किसी ने मेरे दिल पर पत्थर मारा है
मुझे इस जगह से उस जगह पर कर दो
मेरी चाहत पर नहीं मेरे दिल पर खंजर भोका है
वफ़ा के इस सफर में,,,,,,,
बड़ा दर्द बड़ा छोटा सा जैसे पुरानी बीमारी ने नया रूप टंकारा है
थोड़ी सी ठेस क्या लगी पूरे शरीर को झनकारा है
इसी तरह मेरी बेटी को भी बहुत दर्द हुआ
मेरी खिलती हुई मोहब्बत की किरण पर किसी नेटर की भूमिका है
वफ़ा के इस सफर में,,,,,,,
दीपक को तोड़ने के लिए किसी ने हवा का फैंक भरा है
टिमटिमाते तारे की प्राकृतिक चाँद ने अपनी रोशनी से निखारा है
उसे दूर से देखकर मैं खुद को किस दरवाज़े पर रोक पाऊंगा या भगवान
इस उम्मीद में मन के प्रस्फुटित दीप्त किरनौ पर किसी नेक कालिक का उपयोग किया गया है
वफ़ा के इस सफर में,,,,,,,
मेरी मुहब्बत से मेरी दोस्ती जुदा कर मेरी मुलाकात से मनाई जाती है
किसी बदमाश की फैमिली कटघरे में खड़ी है आग में झूला है
सुलग रही है मेरी पौरुष पुस्तक मेरी आज्ञा ने मुझे सिखाया है
जी ले दे संदीप उन सभी को जिंदगी भर के लिए शायद किसी और को नौकरी मिल जाए, जिन्होंने चुज कर रखा है बस इतना ही पोर्टफोलियो हुआ है
वफ़ा के इस सफर में,,,,,,,
संदीप कुमार अररिया बिहार