प्रतिनिधि,बनमनखी:सोमवार को भक्त प्रह्लाद मंदिर के प्रांगण जिला परिषद क्षेत्र संख्या 12 के प्रतिनिधि रमन कुमार यादव के नेतृत्व में एक दिवसीय धरना प्रदर्शन का आयोजन किया गया.आयोजित धरना प्रदर्शन कार्यक्रम में सभी पंचायत भाड़ी संख्या में मनरेगा मजदूर के अलावा मुखिया,सरपंच,पंचायत समिति सदस्य,वार्ड सदस्य व आमजन सामिल होकर जोरदार प्रदर्शन किया.धरना प्रदर्शन के पश्चात प्रदर्शनकारियों द्वारा भक्त प्रह्लाद मंदिर के प्रांगण से पैदल मार्च करते हुए अनुमंडल कार्यालय परिसर पहुच कर अनुमंडल पदाधिकारी के माध्यम से मुख्यमंत्री,प्रधानमंत्री,ग्रामीण विकास विभाग मंत्री के अलावा अन्य विभाग के मंत्री व प्रधान सचिव के नाम एक आठ सूत्री मांग पत्र सौंपा गया.
सौंपे गए मांगपत्र के माध्यम से कहा कि बिहार में भूमिहीन मजदूरों की संख्या अन्य राज्य के मुकाबले सबसे अधिक है जिसके सामने रोजी रोटी की समस्या बनी रहती है.बिहार में उन्हें काम नही मिलता जिसके कारण उन्हें पलायन करने की मजबूरी होती है.ऐसे में मजदूरों के लिए अपने गृह जिले में गारेंटी के साथ रोजगार सुनिश्चित किया जाय.बिहार में मजदूरों की संख्या करीब करोड़ो में है.जिसमे से महज 3.34 प्रतिशत लोगों के पास जॉब कार्ड है.ऐसे में 100 फिशदी मजदूरों को जॉब कार्ड जारी किया जाय.मनरेगा योजना के तहत 100 दिन की रोजगार गारंटी का प्रावधान है.इसमें महज एक फिशदी लोगों को रोजगार तो मिलता है लेकिन भुगतान महज 34 -45 दिन का हिं किया जाता है.ऐसे में मनरेगा मजदूरों को 100 दिन रोजगार गारंटी को बढ़ाकर 200 दिन का रोजगार सृजन करते हुए गारंटी के साथ भुगतान किया जाय.
नेशनल मोबाईल मोनेटरिंग सिस्टम से मनरेगा कार्य मे पारदर्शिता तो जरूर आया है लेकिन इसके लागू होने से मजदूरों के रोजगार सृजन में काफी नुकसान हो रहा है.शिकायत मिल रही है कि दोनों समय एनएमएमएस (NMMS) नही होने के कारण काम करने के बाबजूद मजदूरों को पेमेंट नही मिल पाता है.जिस कारण बहुत बड़ी संख्या में मजदूर मनरेगा कार्य छोड़ने को मजबूर हो रहे है.ऐसे में पहले के भांति मैनुअल मास्टर रोल के तहत मजदूरों से काम लिया जाय.इसके अलावा बिहार में किसी आपदा से मरने वालों के लिए 4 लाख मुआवजा का प्रावधान किया गया है.लेकिन मनरेगा मजदूर को महज 2 लाख की बीमा क्यों.मनरेगा मजदूरों के अकाश्मिक मृत्यु पर 50 लाख मुआवजा के साथ 25 लाख दुर्घटना बीमा लागू किया जाय.
पंजाब,हरियाणा,गुजरात,उत्तरप्रदेश सहित सभी विकसित राज्य में मनरेगा मजदूर को न्यूनतम मजदूरी 300 रुपये के आसपास दिया जाता है तो बिहार जैसे पिछड़े राज्य में महज 210 रुपये क्यों ? बिहार के मनरेगा मजदूरों के लिए सामान्य मजदूरी राशि लागू करते हुए 300 से 400 रुपये दिया जाय.सौंपे गए मांग पत्र में कहा गया कि बिहार में बरसात के समय मनरेगा मजदूरों को काम नही मिलता है ऐसे में बेरोजगारी भत्ता के रूप में प्रत्येक मनरेगा मजदूरों को खाता में प्रतिमाह 12 हजार रूपये भुगतान किया जाय.बिहार में खेतिहर मजदूर,लघु किसान की संख्या अत्यधिक है इसके लिए नई पॉलोसि लागू कर अपने खेत मे काम के बदले मनरेगा से मजदूरी भुगतान का प्रावधान सुनिश्चित किया जाय.
इस बाबत जानकारी देते हुए जिला परिषद क्षेत्र संख्या 12 के अध्यक्ष रमन कुमार यादव ने कहा कि सोमवार को मनरेगा मजदूर की समस्या के समाधान को लेकर एक दिवसीय धरना प्रदर्शन किया गया था.प्रदर्शन के पश्चात अनुमंडल पदाधिकारी के माध्यम से संबंधित मंत्री व विभागीय अमलाओं के नाम 8 सूत्री मांगों सौंप गया है.
उन्होंने बताया कि ससमय मांग पूरा नही किया जाता है तो मनरेगा मजदूर,लघु किसान,खेतिहर मजदूर,गण्यमान्य लोग,स्थानीय जनप्रतिनिधियों के साथ हमलोग आने वाले समय मे चरणबद्ध आंदोलन के बाध्य होंगे.जिसकी जिम्मेदारी स्थानीय प्रशासन व सरकार की होगी.इस मौके पर रमन कुमार यादव के अलावा,वार्ड सदस्य संघ के अध्यक्ष श्याम कुमार यादव,मुखिया बसंत उरांव,संजय पासवान,मनोज ऋषि,चंद्रकिशोर तुरहा,बोलबम यादव,आशा देवी,नंदन सिंह,विनोद यादव,अरुण देवी,पंसस अभय पासवान,श्यामदे ठाकुर,रविंद्र यादव,आशुतोष कुमार मंडल,जीतन रमानी के अलावा सैकड़ों की संख्या में मनरेगा मजदूर मौजूद थे.