बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक होलिका दहन आज,तैयारी पूर्ण.
*कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण - होलिका की 40 फुट पुतला व आतिशबाजी.
*कार्यक्रम में शिरकत करेंगे मशहूर लोक गायिका देवी.
बनमनखी(purnea):- अनुमंडल क्षेत्र के सिकलीगढ धरहरा के नरसिंह अवतार मंदिर में आज कला सांस्कृतिक एवं युवा विभाग बिहार सरकार के सौजन्य से होलिका महोत्सव कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा जिसकी तैयारी पूर्ण कर ली गयी है. कार्यक्रम के सफल आयोजन हेतु जिला प्रशासन निर्देश पर अनुमंडल प्रशासन ने चुस्त दुरूस्त व्यवस्था किया है.इस कार्यक्रम को लेकर बनमनखी अनुमंडल पदाधिकार नवनील कुमार एवं अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी कृपाशंकर आजाद ने संयुक्त आदेश जारी कर उक्त स्थल पर भारी संख्या में दंडाधिकारी एवं पुलिस पदाधिकारी को विभिन्न स्थल पर प्रतिनियुक्त किये गये हैं.
*सरकारी घोषणा के बाद तीसरी दफे होगा होलिका मोहोत्सव.*
पूर्णिया जिला के बनमनखी अनुमंडल मुख्यालय स्थित सिकलीगढ़ धरहरा में सरकार के घोषणा के बाद तीसरी बार सरकारी खर्च पर होलिका महोत्सव का आयोजन हो रहा है. जिससे इस क्षेत्र के लोगों में एक बार फिर से खुशी का माहौल है. गौरतलब है कि वर्ष 2007 में बनमनखी के तत्कालीन एसडीएम केशव कुमार सिंह के खास पहल पर पहली बार सिकलीगढ़ धरहरा में भव्य होलिका दहन कार्यक्रम का आयोजन किया गया था. उसके बाद प्रह्लाद स्तम्भ विकास ट्रस्ट के सौजन्य से विगत गयारह वर्षों से लगातार होलिका दहन कार्यक्रम आयोजन होता रहा.वर्ष 2017 में होलिका दहन कार्यक्रम को लेकर जिला प्रशासन ने खास दिलचस्पी लेते हुए सुरक्षा व्यवस्था की पुख्ता इंतजाम कराया था.उसके बाद वर्ष 2018 में तत्कालीन बिहार सरकार के कैबिनेट मंत्री कृष्ण कुमार ऋषि ने होलिका दहन कार्यक्रम को सरकारी खर्च पर होलिका महोत्सव कार्यक्रम आयोजित करने का निर्माण लिया था.क का आयोजन किया.
*आज होगा होलिका महोत्सव कार्यक्रम* :-
बनमनखी अनुमंडल मुख्यालय से सटे सिकलीगढ़ धरहरा में आज 17 मार्च को होली से एक दिन पूर्व होलिका महोत्सव कार्यक्रम का आयोजन होगा. होलीका महोत्सव कार्यक्रम में इस बार भी भव्य होलिका दहन होगा.जिसमें जमकर आतिशबाजी की जाएंगी. उसके बाद सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन होगा. जिसमें इस बार भोजपुरी गायिका देवी द्वारा प्रस्तुति दी जाएगी.
क्या है मंदिर का इतिहास :-
बनमनखी प्रखंड अंतर्गत सिकलीगढ़ धरहरा में भगवान ने नरसिंह रूप धारण कर हिरण्यकश्यप का वध किया था. हिरण नदी के तट पर अवस्थित इस स्थल पर आज भी प्रह्लाद स्तंभ मौजूद है जो लोगों की आस्था का केंद्र है. होली के मौके पर विशाल होलिका दहन समारोह का आयोजन यहां प्रतिवर्ष किया जाता है.ब्रिटेन से प्रकाशित पत्र क्विक पेजेज द फ्रेंडशिप इनसाक्लोपिडिया में भी हुई इस स्तंभ की चर्चा ह. 1911 में प्रकाशित गजेटियर में ओ मेली ने भी इसकी चर्चा करते हुए इसे मणिक खंभ कहा है जिसका उल्लेख पुरातात्विक महत्व वाले ग्रंथों में भी है.मान्यता के अनुसार हिरण्यकश्यप के पुत्र प्रह्लाद भगवान विष्णु के परमभक्त थे. जबकि हिरण्यकश्यप भगवान को नहीं मानते थे और खुद को भगवान मानने के लिए कहते थे. इसलिए उसने कई बार अपने पुत्र को मारना चाहा लेकिन वे बच जाते. हिरण्यकश्यप की बहन होलिका को वरदान था कि वह आग में नहीं जलेगी.इसलिए होलिका की गोद में प्रह्लाद को बैठाकर आग के हवाले कर दिया गया. लेकिन होलिका जल गई और प्रह्लाद बच गये. फिर उन्हें खंभा से बांधकर वध करने के लिए जैसे ही हिरण्यकश्यप तैयार हुए भगवान ने नरसिंह रूप में खंभा से प्रकट होकर हिरण्यकश्यप का वध किया. जिसे मणिक खंभ कहा गया जो आज भी मंदिर परिसर में मौजूद है.