*कलंक कथा,पार्ट-02:
गली मोहल्ले के निजी भवनों में चलता है हलका कचहरी,जहाँ निजी कर्मियों के द्वारा किया जाता है सरकारी दस्तावेजों के साथ छेड़खानी.*
सम्पूर्ण भारत डेस्क,पूर्णियां(बिहार) पूर्णियां जिला के बनमनखी प्रखंड में सरकारी नियमों को ताक पर रख कर विभिन्न पंचायतों सहित प्रखंड मुख्यालय के निजी भावनों में हलका कचहरी का संचालन किया जाता है.जहाँ एक राजस्व कर्मचारी के पास दस-दस निजी व्यक्ति बिना पगार के काम करते नजर आते हैं.ऐसे में सहज अंदाजा लगाया जा सकता है कि बिना पगार के दस-दस निजी लोगों का गुजारा आखिर किस मद से होता है.यह कोइ एक-दो दिन की बात भी नही है, बल्कि साल के 365 दिन विभिन्न हल्का कचहरी में एसे लोगों का दबदबा देखा जाता है.जो लगान रशीद से लेकर अन्य सरकारी दस्तावेजों को अपने पास रख कर बेरोकटोक काम को अंजाम देते हैं.इस दौरान किसी रैयतों व किसानों से अवैध राशि लेकर सरकारी पंजी एवं दस्तावेज के साथ बिना किसी भय का छेड़छाड़ तक कर दिया जाता रहा है.जिसका खामयाजा बाद के दिनों में राजस्व कर्मचारी से लेकर अंचल अधिकारीयों को भुगतना पड़ता है.इस तरह का आये दिन कोइ न कोइ मामला प्रकाश में आता रहा है.जिसको लेकर राजस्व कर्मी से लेकर अंचल अधिकारीयों को फजीहत का सामना भी करना पड़ा है.बाबजूद इस दिशा में आज तक कोइ ठोस पहल नहीं किया गया.सूत्र बाताते हैं कि लगातार मिल रही इस तरह के शिकायत के अलोक में बिहार सरकार द्वारा निर्देश जारी किया गया था, कि विभिन्न निजी भावनों में चल रहे हल्का कचहरी को तत्काल प्रभाव से पंचायत भवन या पंचायत सरकार भवन में संचालित करें तथा सभी हल्का कचहरी के सरकारी दस्तावेजों को अंचल अभिलेखागार में सुरक्षित रखवा दें.ताकि सरकारी अभिलेख के साथ भविष्य में किसी तरह का छेड़छाड़ नहीं हो सके. लेकिन बनमनखी में सरकार के इस निर्देश का आज तक न तो पालन हो सका और न हीं हल्का कचहरी में पड़े सरकारी दस्तावेज सुरक्षित अभिलेखागार तक पहुचा. जिसके कारण आये दिन इस तरह का मामला प्रकाश में आते रहता है.
पिपरा के दुखा दास व अनिल दास के मामले में खुद राजस्व कर्मचारी ने खोला था, सरकारी अभिलेख के साथ छेड़छाड़ का पोल:-
बनमनखी प्रखंड के पिपरा पंचायत के एक बुजुर्ग दंपति दुखा दास व नीरो देवी की 31.5 डिसमिल जमीन पिपरा मौजा में है.जिसका विधिवत नामांतरण करवाकर वे वर्षों से घर द्वार बना कर दखलकार हैं.पीड़ित बुजुर्ग दंपति की भूमि को हड़पने के उद्देश्य से गांव के हीं एक व्यक्ति द्वारा कथित एक केवला के आधार पर नामांतरण हेतु ऑफलाइन आवेदन किया गया.जिसे अंचल कार्यालय द्वारा खारिज कर दिया गया.इसके बाद वादी द्वारा भूमि सुधार उप समहार्ता के न्यायालय में खारिज मोटेशन के विरुद्ध अपील दायर किया.जहां भूमि सुधार उप समहार्ता द्वारा दोनो पक्ष के दस्तावेज को देख कर दोनो पक्ष को सुनकर वादी द्वारा लाये गए वाद को खारिज कर दिया.कुछ वर्षो के बाद वादी अनिल दास द्वारा वर्ष 2021 में नामांतरण कराने हेतु पुनः ऑनलाइन आवेदन दिया गया.बताया गया कि इस वार वे रुपये आदि के बल पर न केवल नामांतरण करा लिया बल्कि लगान राशिद भी प्राप्त कर लिया.इस मामले में तब और खलबली मच गयी थी जब जिलाधिकारी पूर्णियां ने खुद संज्ञान लेते हुए अनुमंडल पदाधिकारी को पुरे मामले की जाँच कर रिपोर्ट तलब किया.आनन-फानन में अनुमंडल पदाहिकारी द्वारा सम्बंधित राजस्व कर्मचारी,प्रभारी अंचल निरीक्षक एवं अंचलाधिकारी से स्पष्टिकरण की मांग किया.सूत्र बाताते हैं कि प्रभारी सीआई एवं सीओ का रिपोर्ट तो सामान्य था.लेकिन राजस्व कर्मचारी के द्वारा सौंपा गया रिपोर्ट ने बनमनखी के अधिकारीयों के बिच सनसनी मचा दिया था. बताया जा रहा है कि स्पष्टीकरण के जबाब में प्रभारी राजस्व कर्मचारी अजित कुमार ने मोटेशन मामले में सीआई एवं सीओ को दोषी करार देते हुए कहा कि हल्का कचहरी के पंजी-2 में पूर्व के कर्मचारियों के समय छेड़छाड़ किया गया था.जिसके कारन दाखिल खारिज के रिपोर्ट करने में इस तरह की समस्या उत्पन्न हुई है.उन्होंने पिपरा के दुखा दास व अनिल दास के मामले में खुद को बेकसूर बताया और सारा दोष पूर्व के कर्मचारी व ऊपर के अधिकारी पर मढ़ दिया.बाद में जिसका खामयाजा राजस्व कर्मचारी अजित कुमार को भी भुगतना पड़ा.अपने हीं विभाग का पोल खोलने के आरोप में अंचल पदाधिकारी अर्जुन कुमार विश्वास ने राजस्व कर्मचारी को आवंटित सभी हलका का प्रभार से तत्काल मुक्त कराते हुए राजस्व कर्मचारी मो एजाज आलम को सौंप दिया गया.राजस्व कर्मचारी अजित कुमार के कथन से भले हीं विभागीय अधिकारी को तत्काल फजीहत झेलना पड़ा. लेकिन उसके कथन से यह तो स्पष्ट हो गया है कि विभिन्न निजी भावनों में चल रहे हल्का कचहरी में रखे गए सरकारी अभिलेख किसी भी सूरत में न कभी सुरक्षित रहा और न भविष्य में रहेगा.इसके लिए अब भी समय है कि स्थानीय अधिकारी सरकार के दिशा-निर्देश को पालन करते हुए गली मुहल्ला में चल रहे हल्का कचहरी को पंचायत भवन में शिप्ट करते हुए सभी सरकारी अभिलेख को तत्काल अंचल कार्यालय परिसर में संचालित हाईटेक अभिलेखागार में सुरक्षित करें.
अंचल कार्यालय में भी निजी लोगों का रहता है दखल,खुलेआम करते रहता है सरकारी दस्तावेज को उलटफेर:-
अंचल अधिकारी के लाख प्रयास के वाबजूद भी उनके अधिनस्त कर्मी सुधरने का नाम नहीं ले रहे हैं.ताजा मामला शनिवार का है.शनिवार को अन्य दिन के भाँती अंचल कार्यालय खुला हुआ था.पता चला कि अंचल पदाधिकारी अर्जुन कुमार विश्वास किसी थाना में लगे जनता दरवार में पहुचकर लोगों के फरियाद सुन रहे हैं.इधर उनके कार्यालय में बड़ा बाबू अजय कुमार का कुर्सी खाली था.उसके सामने के अंचल लिपिक मनीष कुमार का कुर्सी लगा हुआ था.जिसपर एक निजी व्यक्ति द्वारा कुछ पुराने सरकारी अभिलेख को उलटफेर किया जा रहा था. ठीक उसके सामने पब्लिक के लिए उपलब्ध एक स्टूल पर अंचल लिपिक मनीष कुमार विराजमान थे.जो शायद नक़ल का अभिलेश तैयार कर रहे थे.अंचल लिपिक मनीष के अगल-बगल कुछ महिला-पुरुष खड़े थे, जिन्हें शायद नक़ल लेना था.इस क्रम में अंचल लिपिक मनीष ने सामने बैठे कथित निजी व्यक्ति की और देखते हुए कहा क्या….? हुआ बहुत विलंव कर रहे हैं…नहीं मिल रहा है तो, छोड़ दिजिए…, कोइ देख लेगा तो सब गड़बर हो जायेगा….,लेकिन लिपिक के कहने के बाबजूद भी निजी व्यक्ति अपने काम में मशगुल थे.जिसका पुख्ता प्रमाण सम्पूर्ण भारत न्यूज के पास उपलब्ध है. इधर मामले की वास्तु स्थिति से अंचल अधिकारी को अवगत कराया गया तो, उन्होंने कहा कि इस तरह का हरकत कतई वरदास्त नही किया जायेगा.देखना दिलचस्प होगा कि मामले में अंचल अधिकारी कार्यवाही करते हैं या अन्य मामले की तरह इस मामले को भी नजर अंदाज कर देते है.
नोट: कलंक कथा:के अगले अंक (पार्ट-03) में पढ़े :
नियमित व वरिष्ट राजस्व कर्मचारी को मिल रहा है बनमनखी में सजा, संविदा पर तीसरी वार पहाल हुए स्थानीय राजस्व कर्मचारी “सीआई” पद का ले रहे हैं मजा…?
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