पर्यटन मंत्री कृष्ण कुमार ऋषि ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से इको टूरिज्म सहित अन्य विषय पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के समक्ष दिया प्रस्तुतिकरण.
PURNEA:मंगलवार को प्रखंड कार्यालय में स्थानीय विधायक सह पर्यटन मंत्री कृष्ण कुमार ऋषि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से जुड़ कर बिहार में पर्यटन क्षेत्र की अपार संभावनाओं वार्ता किया.इस दौरान पर्यटन श्री ऋषि ने बिहार टूरिज्म पॉलिसी के संबंध में विस्तृत प्रस्तुतीकरण दिया.उन्होंने बिहार में पर्यटन को बढावा देने के लिए विस्तृत कार्य योजना की जानकारी दी गई.
प्रस्तुतीकरण के दौरान मंत्री श्री ऋषी ने कहा कि बिहार में पर्यटकों की संख्या बढ़ी है. राज्य में आने वाले पर्यटकों की संख्या 3 करोड़ से ज्यादा है. राजगीर, बोधगया और वैशाली में सबसे ज्यादा विदेशी पर्यटक आते हैं. रोजगार सृजन में पर्यटन की महत्वपूर्ण भूमिका है.बिहार में पर्यटन को और बढावा देने के लिए कई कार्य किये जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि यहां धार्मिक, सांस्कृतिक,ऐतिहासिक एवं अन्य बेहतर स्पॉट है,जिन्हें चिन्हित कर लोगों को जानकारी उपलब्ध करायी जाए.उन्होंने कहा कि इको टूरिज्म को लेकर भी कई कार्य किये गये हैं.इको टूरिज्म के लिये भी बहुत सारी जगहों को विकसित किया गया है.
प्रस्तुतीकरण के पश्चात मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग इसके लिये अलग सोसायटी बनाकर इसका संरक्षण करेगी. उन्होंने कहा कि पहले प्रकाश पर्व में कितने लोग आते थे और आज कितने लोग आ रहे हैं. साइंस सिटी का निर्माण किया जा रहा है.बिहार म्यूजियम को देखने के लिये बड़ी संख्या में लोग आ रहे हैं. पटना म्यूजियम का भी विस्तार किया जा रहा है.इन सब जगहों पर पर्यटन की काफी संभावनायें हैं.मुस्लिम समुदाय के लोगों के लिये खानकाह-ए-मुजीबिया, खानकाह-ए-मुनीमिया और मनेर शरीफ में भी सुविधायें बढ़ायी गयी है.
उन्होंने कहा कि बिहार में कई ऐसे ऐतिहासिक विरासत हैं, जिसे भी काफी लोग देखने समझने आते हैं. यहां सभी धर्मों से संबंधित महत्वपूर्ण स्थल हैं जहां देश-विदेश से श्रद्धालु आते हैं. पर्यटकों की सुविधा के लिए अच्छी सड़कों के निर्माण के साथ-साथ अन्य व्यवस्थाओं को भी विकसित किया गया है.वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के दौरान मुख्यमंत्री ने पर्यटन मंत्री से कहा कि बिहार में पर्यटन की संभावनाओं को विकसित करने की अभी काफी गुंजाइश है. यदि आप ऐतिहासिक, धार्मिक, शैक्षणिक, पुरातात्विक, वैज्ञानिक स्थलों को एक साथ चिन्हित कर काम करेंगे तो पर्यटन की और संभावनायें विकसित हो सकती है.