नहीं केवल पताका आसमान में लहरा कर दिखाओ

नहीं केवल पताका आसमान में लहरा कर दिखाओ

दिखाना है अगर तो ऊंचा उड़ान भर कर दिखाओ

जमीन पर तो रेंगते हैं चिटी चलते हैं पशु पक्षी

तुम इससे कुछ बड़ा कर दिखाओ इतिहास में अपना स्वर्णिम अक्षर में नाम अंकित कर दिखाओ।।

 

सौ में तो एक दो ही ऐसे होते हैं तुम भी उसमें शामिल हो जाओ

ठंडे दिमाग से सोच समझ कर कुछ बड़े कदम उठाओ

ऐराते बौराते तो कोई कुछ भी मार्ग चुन लेते हैं तुम भी ऐसा न कर जाओ

थोड़ा संयम के साथ कुछ नया सोच दिखाओ आसमान सा अपना कद बड़ा बनाओ।।

 

अपने कर्म धारा पर इतने खो जाओ

की राही मुसाफिर भी बगल से गुजर जाए तो भनक ना लग पाए

इतने अपने कार्य में खो जाओ

तुम कुछ अलग कर चांद सा रोशन तुम अपना कृत कर दिखाओ।।

 

संदीप कुमार अररिया बिहार