*डगर-डगर गांव-गांव शहर-शहर चौपाल सजा है होली का…*

डगर-डगर गांव-गांव शहर-शहर चौपाल सजा है होली का बच्चे बूढ़े सब हर्षित है लगाकर गुलाल होली का

डगर-डगर गांव-गांव शहर-शहर चौपाल सजा है होली का
बच्चा-बच्चा सबने जमकर होली का
आनंद लिया क्या उल्लास छाया है
घर-घर में रंग बिरंगी रंगोली का।

मिठाई-धुआं उठ रही है पाक रही है, पकवान होली का
साज है, थाल में जगहें देखें, जगहें, साली जीजा का
अबकी बार, रंग रंगा आगे भर-भर कर
आ जाए, कोई खबर नहीं, भौजाई का
डगर-डगर गांव-गांव शहर-शहर , ,,,,,,

बाइक उठाएंगे उड़ते-उड़ते, नाचते-घुमते, नाचते-गाते, होली का
बड़ा मजा आएगा जब ये सब मिलकर गाएंगे फागोली का
बस एक अभाव तन रंग मन में खिलते रह जाएंगे बोल डंके
वो आंख मिचौली बजाते हैं साथ ना रहें तो क्या रंग खिलेगा होली का
डगर-डगर गांव-गांव शहर-शहर,,,,,,

(संदीप कुमार अररिया बिहार)

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