“समस्या का हल नहीं, जिम्मेदार कौन? का खेल”

✍-: अपना मंतव्य :-✍

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आजकल प्रखंड क्षेत्र में यह अजीब फैशन बन गया है कि किसी भी आपदा, विपदा या छोटी-बड़ी समस्या पर समाधान की चर्चा कम होती है और सोशल मीडिया पर “जिम्मेदार कौन?” का शोर ज्यादा मचता है।

  • मौत हुई तो सवाल – “जिम्मेदार कौन?”
  • बाढ़ आई तो सवाल – “जिम्मेदार कौन?”
  • सड़क टूटी या नाला जाम तो सवाल – “जिम्मेदार कौन?”

 

📌 हकीकत यह है कि इन सवालों के बीच असली मुद्दा — समाधान — कहीं गायब हो जाता है।

 

नेताजी का नया तरीका:- नेताजी आएंगे, फोटो खिंचवाएंगे 📸, फेसबुक-व्हाट्सऐप पर डालेंगे और लिखेंगे – “जनता के साथ, जनता के बीच, जनता के लिए।” लेकिन हकीकत? जनता सड़क पर और नेताजी गाड़ी में। राजनीति का गणित साफ है – “पांच साल उसने राज किया, अब पांच साल हमें करने दो।” मन ही मन यही गुनगुनाते हैं और जनता की समस्या यूं ही पड़ी रह जाती है।

 

मुआवजा और सच्चाई:-यह भी याद रखें कि किसी आपदा या दुर्घटना में जो मुआवजा पीड़ित परिवारों को मिलता है, वह पूर्व से निर्धारित सरकारी प्रावधान है।अगर कोई नेता या दल यह दावा करे कि “हमने दिलवाया”, तो आप उनका आभार भोजन कराकर जरूर जताइए, लेकिन अपना कीमती वोट ऐसे बहकावे में देकर बर्बाद मत कीजिए।

 

🚨 जनता के नाम संदेश:- जागो जनता जागो। मीडिया का कैमरा और सोशल मीडिया की पोस्ट से समस्या हल नहीं होगी। असली ताकत आपके जागरूक वोट और सामूहिक एकजुटता में है

 

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