बीएचयू : “सिस्टम” गुजरता चला गया बगल से तड़पती रही ज़िन्दगी जमी पर, हाथ मे लेकर आईडी प्रूफ परिजन खोजते रहे स्ट्रेचर को।

बीएचयू : “सिस्टम” गुजरता चला गया बगल से तड़पती रही ज़िन्दगी जमी पर, हाथ मे लेकर आईडी प्रूफ परिजन खो

 

 

प्रतिनिधि वाराणसी :- प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के संसदनीय क्षेत्र वाराणसी के जाने माने बीएचयू अस्पताल की इमरजेंसी में मरीजों की समस्या खत्म होने का नाम नहीं ले रही है। जी हाँ आपको बता दे कि बीते 20 नवंबर दिन शनिवार को एक मरीज स्ट्रेचर न मिलने के कारण वही जमीन पर तड़पता रहा। वही मरीज के बगल से कई चिकित्सक, पैरामेडिकल स्टाफ बाकी हॉस्पिटल के स्टाफ गुजरते रहे, परन्तु बने इस सिस्टम से जुड़े लोगों की निगाहे नहीं पड़ी। कायाकल्प की वजह से पुरानी बिल्डिंग से सुपर स्पेशियलिटी ब्लॉक (एसएसबी) में इमरजेंसी शिफ्ट होने के बाद भी पुरानी समस्या अभी भी बरकरार है। आपको जान कर हैरानी होगी कि इमरजेंसी में बेड का संकट तो बना ही है, वही अगर जरूरत पड़ जाए तो स्ट्रेचर भी नहीं मिल सकता हैं। अब जब मरीजो को कोई स्ट्रैचर नही मिलता तो मरीज भी मजबूरन एसएसबी में इमरजेंसी के पास जमीन पर लेटना पड़ता हैं। शनिवार दोपहर 12 बजे एसएसबी के बाहर ऐसा ही कुछ नजारा देखने को मिला।
लोगो का कहना हैं कि अस्पताल प्रशासन ने इमरजेंसी का पर्चा 20 रुपये से 30 रुपये कर दिया हैं लेकिन इमरजेंसी वार्ड की सुविधाएं नही बढ़ी हैं।
वैसे तो हर रोजे सुपर स्पेशियलिटी ब्लॉक की इमरजेंसी के गेट पर कुर्सी-मेज लगाकर एक कर्मचारी स्ट्रेचर, व्हील चेयर देने के लिए बैठा रहता था। अन्य दिनों में यहां आठ से दस स्ट्रेचर लगभग दिखते थे, लेकिन शनिवार को स्थिति उलटी दिखी। दोपहर 12 बजे चंदौली के बबूरी निवासी एक बुजुर्ग को लेकर परिजन इमरजेंसी में पहुचे, वहाँ उन्होंने पर्चा कटवाया फिर परिजन बुजुर्ग को डॉक्टर को दिखाने के लिए हाथ मे आधार कार्ड लेकर स्ट्रेचर के लिए इधर से उधर भागते रहे लेकिन कोई स्ट्रैचर नही मिला और बुजुर्ग मरीज वही जमीन पर कराहता रहा। क्योंकि मरीज चलने में सक्षम नही था।
मरीज के परिजन हाथो में आधार लेकर घूमते रहे लेकिन वहाँ बैठा कर्मचारी बोलता की अभी नही हैं जब आएगा तब मिलेगा ठीक ऐसा ही हाल कर्मचारियों के लिए बने हॉस्पिटल ईएसआई हॉस्पिटल पाण्डेपुर का भी हैं

*स्ट्रेचर पड़े हैं टूटे, और आक्सीजन दिया जा रहा व्हील चेयर पर*

वही दूसरी ओर एसएसबी इमरजेंसी के बाहर एक कोने में दो- चार स्ट्रेचर टूटे पड़े थे। किसी का पहिया टूटा पडा था तो किसी की सीट का पता नही था। ऐसी स्थिति तब हैं जब इमरजेंसी में स्ट्रेचर पर भी मरीजों को भर्ती कर इलाज किया जा रहा है। वही एक बुजुर्ग मरीज को स्ट्रेचर की कमी की वजह से व्हील चेयर पर ही ऑक्सीजन दिया गया।