बनमनखी में हर्षोल्लास के साथ मनाया गया बाबा साहेब भीम राव अम्बेडकर की जयंती.
पूर्णिया:-गुरुवार को अम्बेडकर चौक बनमनखी के प्रंगान में संविधान निर्माता बाबा साहब डा. भीमराव अंबेडकर की जयंती धूमधाम के साथ मनायी गयी.जिसकी अध्यक्षता नगर पंचायत के निवर्तमान मुख्य पार्षद विजय
साह ने की. कार्यक्रम के दौरान उपस्थित सभी लोगों ने अंबेडकर जी के चित्र पर माल्यार्पण कर दीप प्रज्जवलित किया.तत्पशचात सभा को संबोधित करते हुए वक्ताओं ने कहा कि बाबा साहब के दिखाये रास्ते पर चल कर ही समता मूलक समाज की स्थापना की जा सकती है. बाबा साहब जीवन पर्यन्त समाज को एक डोर में बांधने के लिये संकल्पित रहे.बाबा साहेब एक भारतीय विधिवेत्ता, राजनीतिज्ञ और समाज सुधारक थे.
उन्होंने दलित बौद्घ आन्दोलन को प्रेरित किया और सामाजिक भेदभाव के विरूद्घ अभियान चलाया. इसलिए हम लोग भी एक दूसरे से समाज में बिना भेदभाव किये रहना चाहिये और हमेशा भाई चारा बना कर रहना चाहिये.इस अवसर पर विधायक कृष्ण कुमार ऋषि,निवर्तमान मुख्य पार्षद विजय साह,एसडीपीओ कृपा शंकर आजाद,बीडीओ सरोज कुमार, सीओ अर्जुन कुमार विश्वास,इंस्पेक्टर विद्यानंद पासवान, एसएचओ मैराज हुसैन,भीम आर्मी के प्रखंड अध्यक्ष राज कुमार पासवान, अधिवक्ता डॉ कृष्णा कुमारी,नागेश्वर साह,दीप नारायण गुप्ता,विश्वनाथ शरण यादव,शांति पासवान, रमेश पासवान आदि मौजूद थे.वहीं दूसरी तरफ बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर की जयंती के अवसर पर गोरेलाल मेहता महाविद्यालय में संगोष्ठी का आयोजन किया गया.संगोष्ठी में वक्ताओं ने अंबेडकर के विचारों की प्रासंगिकता विषय पर अपने विचार दिए.
आयोजित इस कार्यक्रम की अध्यक्षता महाविद्यालय के प्रधानाचार्य प्रोफेसर डॉक्टर अनंत प्रसाद गुप्ता ने किया. भौतिकी विभाग के सहायक प्राध्यापक प्रोफेसर कौशल किशोर प्रसाद ने कार्यक्रम का सफल संचालन किया. वक्ताओं ने असामानता और भेदभाव को खत्म करने हेतु अंबेडकर के प्रयासों की चर्चा की और समतामूलक समाज की स्थापना में उनके योगदान को याद किया. महाविद्यालय के शिक्षक डॉक्टर ब्रजेश कुमार,डॉक्टर विकास कुमार और प्रोफेसर रश्मि कुमारी ने अंबेडकर के विचारों की प्रासंगिकता पर अपने उद्बोधन दिए. अंबेडकर के जीवन परिचय पर भारतीय संसद द्वारा निर्मित डॉक्यूमेंट्री के माध्यम से छात्र-छात्राओं का ज्ञान वर्धन किया गया.
प्रधानाचार्य प्रोफेसर आनंद प्रसाद गुप्ता ने अपने अध्यक्षीय संबोधन में बाबा साहब के संविधान निर्माण में योगदान पर प्रकाश डाला. उन्होंने बताया कि तीनो गोलमेज सम्मेलनों में बाबा अंबेडकर ने भाग लिया तथा प्रभागोत्पादक विचार रखे.उन्होंने कहा कि भारत जातिवाद संप्रदायिकता बाद अलगाववाद लैंगिक असमानता आदि जैसी कई सामाजिक आर्थिक चुनौतियों का सामना कर रहा है हमें अपने भीतर अंबेडकर की भावना को खोजने की जरूरत है ताकि हम इन चुनौतियों से खुद को बाहर निकाल सकें. इस अवसर पर महाविद्यालय के शिक्षक शिक्षकेत्तर कर्मी एवं छात्र-छात्राएं उपस्थित थे.