पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया के पूर्णिया स्थित कार्यालय पर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी )का छापा , चर्चाओं का बाजार गर्म ,अधिकारी खामोश.

 

पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया के पूर्णिया स्थित कार्यालय पर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी )का छापा , चर्चाओं का बाजार गर्म ,अधिकारी खामोश.

 

पूर्णिया / पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) यू तो अपने स्थापना काल से ही सुर्खियों में रहा है लेकिन सीएए -एनआरसी विवाद के बाद अब किसान आंदोलन को समर्थन देने के बाद पीएफआई एक बार फिर सुर्खियों में है।गुरुबार को इसी क्रम में पटना से पहुचीं ईडी की चार सदस्यीय टीम ने सहायक खजांची क्षेत्र के राजबाड़ी स्थित पीएफआई के दफ्तर पर सुबह लगभग 08 बजे छापा मारा जो समाचार प्रेषण तक जारी था ।इस बाबत छापे से जुड़े अधिकारियों ने कुछ भी बतलाने से इनकार किया।सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार ,चंदे के लेन -देन के बाबत और मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में  इडी ने छापेमारी की है । सीमांचल में सीएए -एनआरसी के खिलाफ चले आंदोलन में पीएफआई की सक्रिय  भूमिका रही थी और तब भी फंडिंग को लेकर सवाल उठे थे।हालांकि ,पीएफआई के प्रदेश कोषाध्यक्ष मो हसन ने इस मौके पर छापे की निंदा करते हुए कहा कि यह हमारी आवाज को खामोश करने का प्रयास है और देश मे जो किसान आंदोलन चल रहे हैं ,उससे देश के लोगों का ध्यान भटकाने का प्रयास है।

16 राज्यों में 08 लाख से अधिक लोगों से सीधे जुड़ा है संगठन

पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया की स्थापना वर्ष 2006 में हुई ।दक्षिणपंथी संगठनों का मानना है कि यह उग्र इस्लामी कट्टरपंथी संगठन है जो प्रतिबंधित संगठन सिमी का नया रूप है।इस आरोप को सिरे से खारिज करते हुए पीएफआई के राष्ट्रीय सचिव अनीस अहमद कहते हैं कि हमारा संगठन हमेशा से एससी -एसटी और अल्पसंख्यकों के सामाजिक -आर्थिक उत्थान के लिए प्रयास करती है और उनके संवैधानिक अधिकारों की रक्षा की लड़ाई लड़ती है ,इसलिए आरएसएस और भाजपा के निशाने पर रहती है ।दूसरी ओर बामपंथियों का मानना है कि आरएसएस और पीएफआई एक ही सिक्के के दो पहलू हैं ।इस संगठन का मूल मंत्र ‘ नया कारवां ,नया हिंदुस्तान ‘है।इस संगठन का फैलाव 16 राज्यों में है और   15 से ज्यादा मुस्लिम संगठन इससे जुड़े हुए हैं ।इसके 02 लाख से अधिक कैडर हैं ,जबकि 06 लाख से अधिक लोग इससे सीधे तौर पर जुड़े हुए हैं ।इसका मुख्यालय दिल्ली में है।

राजनीतिक विंग एसडीपीआई ले चुका है विधान सभा चुनाव में हिस्सा

पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया का एक राजनीतिक विंग भी है जो सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया (एसडीपीआई)के नाम से जानी जाती है ।एसडीपीआई ने वर्ष 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव में भी हिस्सा लिया था और इस वर्ष के चुनाव में भी चौथा गठबंधन प्रगतिशील लोकतांत्रिक गठबंधन (पीडीए) का हिस्सा बनकर चुनाव लड़ा ,लेकिन निराशा मिली ।इस पार्टी ने सीमांचल को फोकस किया था ।इस गठबंधन में पप्पू यादव का जन अधिकार पार्टी ,चंद्रशेखर रावण का आजाद समाज पार्टी और बीएल मातंग का बहुजन मुक्ति पार्टी शामिल था ।

साभार:शंख टाईम्स