बनमनखी(पूर्णियां):-फिर होली आई है और अनुमंडल के लोग उस दिन को याद कर रहे हैं जब होली की परंपरा यहां की माटी से शुरू हुई. बनमनखी अनुमंडल स्थित सिकलीगढ़ धरहरा आज भी उस दिन का जीवंत गवाह है.जब हिरण्यकश्यपु का वध यहीं हुआ था और वरदान के वावजूद हलिका जलकर भष्म हो गई थी.यह स्थल भगवान नरसिंह के अवतार स्थल के रूप में विख्यात है और यहाँ के वासिंदों के लिए गर्व का विषय है कि प्रेम व भाईचारे की होली बनमनखी की देन है.उस दिन को हर साल यादगार बनाने के लिए हजारों की तादाद में सिकलीगढ़ धरहरा में लोग होलिका दहन के लिए जुटते हैं.इस बार भी भक्त प्रहलाद स्तंभ विकास ट्रस्ट एवं जिला प्रशासन के निर्देश पर बनमनखी अनुमंडल प्रशासन सात मार्च 2023 को हनेवाली होलिका मोहोत्सव कार्यक्रम की तैयारी पूरी कर ली है.इसके लिए होलिका का 40 फिट ऊची विशाल पुतला तैयार किया गया है.बनमनखी विधायक सह गैर सरकारी विधेयक एवं संकल्प सभा के सभापति कृष्ण कुमार ऋषि,अनुमंडल पदाधिकारी नवनील कुमार एवं अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी कृपा शंकर आजाद,भक्त प्रह्लाद विकास ट्रस्ट के सचिव राकेश सिंह,कोषाध्यक्ष प्रदीप पौद्दार,अमितेष सिंह आदि कार्यक्रम की सफलता को लेकर तत्पर हैं.
स्थल से जुड़े वर्तमान साक्ष :-
गुजरात राज्य के पोरबंदर में विशाल भारत मंदिर है. उस मंदीर में आज भी यह अंकित है, भगवान नरसिंह का अवतार स्थल, सिकलीगढ़ धरहरा, बनमनखी, जिला पूर्णिया, बिहार. ब्रिटेन की विलकिपेडिया दि फ्री इनसाइक्लोपीडिया एवं गीता प्रेस गोरखपुर से प्रकाशित कल्याण के 31वें वर्ष के तीर्थांग में इस स्थल की महत्ता का जिक्र है.
आस्था का प्रतीक है स्तंभ :-
सिकलीगढ़ धरहरा में भगवान नरसिंह मंदिर परिसर में है प्राचीन स्तंभ. ऐसी धारणा है कि यह स्तंभ उस चौखट का हिस्सा है, जहां राजा हिरण्यकश्यप का वध हुआ. यह स्तंभ 12 फीट मोटा और करीब 65 डिग्री पर झुका हुआ है.
पौराणिक पृष्टभूमि :-
प्राचीन मान्यता के आनुसार भक्त प्रहलाद की रक्षा के लिए भगवान नरसिंह ने सिकलीगढ़ की पावन भूमि पर अवतार लिया.कहा जाता है कि राजा हिरण्यकश्यपु राक्षसों का राजा था. उसका एक पुत्र था जिसका नाम प्रह्लाद था. वह भगवान विष्णु का परम भक्त था.राजा हिरण्यकश्यपु भगवान विष्णु को अपना शत्रु मानता था. जब उसे पता चला कि प्रह्लाद विष्णु का भक्त है तो उसने प्रह्लाद को रोकने का काफी प्रयास किया लेकिन तब भी प्रह्लाद की भगवान विष्णु की भक्ति कम नहीं हुई. यह देखकर हिरण्यकश्यपु प्रह्लाद को यातनाएं देने लगा. हिरण्यकश्यपु ने प्रह्लाद को पहाड़ से नीचे गिराया,हाथी के पैरों से कुचलने की कोशिश की किंतु भगवान विष्णु की कृपा से प्रह्लाद को कुछ भी नहीं हुआ. हिरण्यकश्यपु की एक बहन थी-होलिका.उसे वरदान था कि अग्नि उसे जला नहीं सकती. हिरण्यकश्यपु ने प्रह्लाद को मारने के लिए होलिका से कहा. होलिका प्रह्लाद को गोद में बैठाकर आग में प्रवेश कर गई किंतु भगवान विष्णु की कृपा से हवन से तब भी भक्त प्रह्लाद बच गया और होलिका जल गई.उसी तरह हिरण्यकश्यपु को बरदान था कि न जमीन, न आकाश, न घर, न बाहर कोई नर या जानवर नहीं मार सकेगा.तब भगवान ने चौखट पर नरसिंह स्वरूप में जंघे पर रख कर उसका बध किया.वहीं से बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक के रूप में होली का त्योहार मनाया जाने लगा जिसकी शुरुआत सिकलीगढ़ बनमनखी से हुई ऐसी मान्याता है.
भव्य कार्यक्रम की सुरूआत :-
बताया जाता है कि सबसे पहले प्रखंड के कुछ लोगो ने इस ऐतिहासिक धरोहर को बचाने का संकल्प लिया था! हर साल होली में यहाँ होलिका दहन का छोटा आयोजन किया जाता था.जिसे देखने के लिए आस पास के लोग आते थे, लोगो का जज्बा देख कर तत्कालीन अनुमंडलाधिकारी केशव कुमार सिंह ने मंदिर कमिटी को साथ दिया और सभी के अथक प्रयास से भगवान विष्णु का एक भव्य मंदिर बना. जिस खंम्भे से भगवान विष्णु ने नरसिंग अवतार लिए थे उस जगह की घेराबंदी कर खंम्भा को सुरक्षित रखा गया.वर्ष 2007 से भव्य होलिका दहन की शुरुआत हुई.इसके बाद हर साल भव्य होलिका दहन के मौके पर हजारों लोग कार्यक्रम में लेते हैं.
इसके बाद हर साल भव्य होलिका दहन के मौके पर हजारों लोग कार्यक्रम में सामिल होने लगे.इधर लोगों की आस्था और सिकलिगढ़ किले की लगातार बढती ख्याति को देखते हुए बिहार सरकार के तत्कालीन केबिनेट मंत्री कृष्ण कुमार ऋषि के पहल पर वर्ष 2018 से छोटे स्तर पर मनाई जाने वाली होलिका दहन कार्यक्रम को सरकारी खर्चे पर होलिका मोहोत्सव के रूप में मामने का निर्णय लिया गया.तब से यहाँ हर वर्ष होलिका मोहोत्सव मनाया जाता है.कार्यक्रम के लिए बिहार सरकार द्वारा राशि का आवंटित की जाती है.होलिका मोहोत्सव कार्यक्रम जिला प्रशासन के निगरानी में होता है.
कार्यक्रम की विशेष तियारी :-
जिला प्रशासन के दिशा निर्देश पर अनुमंडल पदाधिकारी नवनील कुमार, अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी कृपा शंकर आजाद ने संयुक्त रूप से बताया कि होलिका दहन की तैयारी पूरी कर ली गई है.सीसीटीवी के जद में मैला की विशेष निगरानी होगी. आवागमन के लिऐ चार मुख्य द्वार बनाये गये हैं.भारी संख्या में पुलिस बल को तैनात किया जाएगा. खासकर असामाजिक तत्व से निपटने के लिए सादे लिवास में विशेष बल को तैनात किया गया है.विधि व्यवस्था बनाये रखने के लिए विभिन्न संगठन के भोलेंटियर को लगाया जाएगा.उन्होंने कहा कि इस वार छह टावर भी बनाये गये है जिसपर विशेष पुलिस बल तैनात होकर हर आने जाने वाले लोगों की निगेहबानी करेगी.कुल मिला कर व्यवस्था ऐसी की परिंदे भी पर नही मार पाऐंगे.