बिहार का इलेक्शन सर पर है और पार्टियाँ तैयारियाँ करने में जुटी है। इधर बिहार दोहरी मार झेल रहा है। एक तरफ कोरोना पूरी तरीके से बिहार में पाँव फैला चुका है वहीं दूसरी तरफ बाढ़ से लोग त्रस्त हैं। बिहार में जदयू और बीजेपी का साथ मजबूती से अभी सबसे ऊपर है लेकिन बाढ़ और कोरोना आपदा ने नीतीश कुमार की टेंशन जरूर बढ़ा दी है। ऐसे में यह बात सामने आती है कि क्या नीतीश कुमार आपदा को अवसर में बदल पायेंगे?
बात करे बिहार में कोरोना की तो देर से ही सही लेकिन ये बीमारी पूरे बिहार में पैर फैला चुका है। किसी किसी जगह की स्थिति ऐसी भयावह है कि सुन के भी डर लगता है। कोरोना संक्रमित की संख्या बिहार मे 30 हजार के पार है और लगभग 215 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं।
वही हर साल की तरह बाढ़ बिहार में कहर बरपा रही है। बिहार में लगभग 50 लाख लोगों पर बाढ़ का खतरा मंडरा रहा है। कोसी, गंडक नदियां खतरे के निशान से ऊपर चल रही है। बाढ़ भी परेशानी का सबब बन रही है।
विपक्ष ने भी सरकार पे सवाल खड़े करने शुरू कर दिए है। तेजस्वी ने कहा कि बिहार बाढ़ और कोरोना से जुझ रहा है और जदयू चुनाव की तैयारी में व्यस्त है। विपक्ष बार बार पूछ रही है कि नीतीश कुमार इलेक्शन करवाना क्यों चाहते है?बात करे जदयू और बीजेपी के गठबंधन की तो अभी नीतीश कुमार बिहार मे सबसे बड़ा चेहरा हैं। इस गठबंधन को सबसे ज्यादा फायदा समान्य वर्गीय लोगों के वोट से होता है लेकिन कोरोना और बाढ़ की मार इसी वर्ग के लोग ज्यादा झेल रहे हैं।
हालांकि बिहार में ऐसी परिस्थिति में भी कोई बड़ा चेहरा नजर नहीं आ रहा है। विपक्ष के पास मौके बहुत है लेकिन वो भुना नहीं पा रही है। देखना ये दिलचस्प होगा कि बिहार की राजनीति अब किस करवट लेती है। बहरहाल विपक्ष के पास ऐसा कोई चेहरा नहीं दिख रहा जो नीतीश कुमार को मात दे सके।
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