कागजों पर चल रहा है जन जागरूकता अभियान,वरीय अधिकारी भी नही देते ध्यान.
प्रतिनिधि,बनमनखी:-कोरोना संक्रमण की चेन को तोड़ने के लिए बिहार सरकार द्वारा लगातार पहल की जा रही है लेकिन स्थानीय पदाधिकारी के ढुलमुल नीति के कारण सरकार के मनसा पर पानी फिरता नजर आ रही है.मिली जानकारी के अनुसार बनमनखी प्रखंड में सात सौ से अधिक संख्या में आंगनबाड़ी सेविका एवं आशा कार्यकर्ता कार्यरत है.जिन्हें सरकारी निर्देशानुसार ग्रामीण क्षेत्रों में बढ़ रहे कोरोना संक्रमण की चेन को रोकने की अहम जिम्मेदारी दी गयी है.लेकिन बनमनखी में संबंधित विभाग के पदाधिकारियों की लापरवाही एवं ढुलमुल नीति के कारण सरकार के मंसूबों पर न केवल पानी फिर रहा है बल्कि शहर के बाद अब ग्रामीण क्षेत्रों में भी कोरोना वायरस अपना असर दुखाना शुरू कर दिया है.गौरतलब है कि बिहार सरकार ने कोरोना गाईडलन को अक्षरशः पालन कराने हेतु आंगनबाड़ी सेविका एवं आशा कर्मी के ऊपर प्रचार प्रसार की अहम जिम्मेदारी सौपी थी.उन्हें कोरोना वायरस के संबंध में न केवल जागरूकता अभियान चलाना था बल्कि ग्रामीण स्तर पर कोरोना जांच शिविर के साथ साथ टीकाकरण अभियान युद्धस्तर चलाना पर जारी रखना था.लेकिन कुछ ग्राम पंचायत में ऐसा कुछ भी नही हो रही है जिससे कोरोना की चैन टूट सके.इस संबंध में दर्जनों ग्राम पंचायत के जनप्रतिनिधि ने बताया कि सरकार के निर्देश का यदि सही से स्थानीय पदाधिकारी व कर्मी पालन करे तो निश्चित रूप से कोरोना के बढ़ते चेन को रोका जा सकता है लेकिन इक्का दुका गांव को छोड़ कर कहीं कुछ नही हो रहा है.सच्चाई तो यह है कि सब के सब टेबुल रिपोर्ट बना कर सरकार एवं सिस्टम को धोखा देने में जुटे हुए है.ऐसे में लाखों खर्च के बाबजूद जमीन पर यदि सही से काम नही हो रही है तो सिस्टम पर सवाल खड़ा होना लाजमी है.समय रहते वरीय अधिकारी द्वारा ऐसे गंभीर मामले को संज्ञान में नही लेते हैं तो अधिकारी के साथ साथ आम लोगों को लगातार बढ़ रहे कोरोना वायरस बड़ी मुसीबत में डाल सकति है.